शिक्षा मनोविज्ञान का अर्थ (Meaning of Educational Psychology)
- प्रायः यह कहा जाता है कि शिक्षा मनोविज्ञान शिक्षा के सम्पूर्ण क्षेत्र का अध्ययन है। इससे तात्पर्य है कि मानंव का शैक्षिक परिस्थितियों में किया गया अध्ययन शिक्षा मनोविज्ञान कहलायेगा। इस प्रकार से शिक्षक, विद्यार्थी एवं शिक्षा की सामग्री आदि का पुर्नमूल्यांकन भी मनोविज्ञान के आधार पर ही होगा। इसमें बालक सबसे अधिक महत्वपूर्ण है। उसी को केन्द्र मानकर अध्यापक कार्य करेगा, पाठ्यक्रम का चयन होगा और वातावरण को साधन सम्पन्न बनाया जायेगा। अतः हम कह सकते हैं कि शिक्षा मनोविज्ञान, वह विधायक विज्ञान है, जिसके द्वारा बालक के व्यवहार का अध्ययन शैक्षिक वातावरण में किया जाता है।
शिक्षा मनोविज्ञान की परिभाषाएँ (Definitions of Educational Psychology)
1. चार्ल्स ई. स्किनर-शिक्षा मनोविज्ञान शैक्षिक परिस्थितियों में मानव व्यवहार का अध्ययन करता है।
2. एच.आर. भाटिया-शैक्षिक वातावरण में विद्यार्थियों या व्यक्तियों के व्यवहार का अध्ययन ही शिक्षा मनोविज्ञान है।
3. क्रो तथा क्रो-शिक्षा मनोविज्ञान व्यक्ति के जन्म से वृद्धावस्था तक सीखने के अनुभवों का वर्णन तथा व्याख्या करता है।
4. ट्रो-शिक्षा मनोविज्ञान शिक्षा परिस्थितियों के मनोवैज्ञानिक तत्वों का अध्ययन करता है।
5. कॉलिसनिक शिक्षा के क्षेत्र में मनोविज्ञान के सिद्धान्तों तथा उसकी उपलब्धियों को प्रयोग में लाना शिक्षा मनोविज्ञान है।
6. स्किनर-शिक्षा मनोविज्ञान की वह शाखा है, जो सिखाने और सीखने के साथ सम्बन्धित है। इसके अनुसार सिखाना और सिखना शिक्षा मनोविज्ञान का अत्यन्त महत्वपूर्ण क्षेत्र है।
7. स्टीफन-शिक्षा मनोविज्ञान शिक्षा की वृद्धि तथा विकास का विधिवत् अध्ययन है। इसके विचारानुसार जो कुछ भी शिक्षा की वृद्धि तथा विकास के विधिवत् अध्ययन के साथ सम्बन्धित है, उसे शिक्षा मनोविज्ञान के क्षेत्र में सम्मिलित किया जा सकता है।
8. जूड-शिक्षा मनोविज्ञान एक ऐसा विज्ञान है, जो व्यक्तियों में हुए उन परिवर्तनों का उल्लेख और व्याख्या करता है, जो विकास की विभिन्न अवस्थाओं में होते हैं।
शिक्षा मनोविज्ञान विशेषताएँ (Characteristics)
उपर्युक्त परिभाषाओं का यदि हम विश्लेषण करें, तो शिक्षा मनोविज्ञान की निम्नलिखित विशेषताएँ पाते हैं-
(1) शिक्षा मनोविज्ञान विधायक विज्ञान है।
(2) शिक्षा मनोविज्ञान मानव की क्रिया-प्रतिक्रियाओं का अध्ययन करता है।
(3) शिक्षा मनोविज्ञान खोज, निरीक्षण एवं प्रयोगों के आधार पर तथ्यों को एकत्रित करता है।
(4) बालक के व्यवहार का अध्ययन शैक्षिक वातावरण में किया जाता है।
(5) शिक्षा मनोविज्ञान, शिक्षा के सिद्धान्तों एवं पद्धतियों का निर्माण करता है।
- इस प्रकार से हम कह सकते हैं कि शिक्षा मनोविज्ञान ने शिक्षा के सभी क्षेत्रों पर अपना प्रभाव डाल दिया है और वर्तमान शिक्षा प्रणाली को उससे अत्यधिक मदद मिल रही है, जो शिक्षा सम्बन्धी समस्याओं को सुलझाने में समर्थ होती है। इसलिए शिक्षा मनोविज्ञान बालक की शैक्षिक उन्नति के लिये उसकी अनुभूति और क्रिया-प्रतिक्रियाओं का अध्ययन शैक्षिक परिस्थितियों में करता है।
शिक्षा मनोविज्ञान की प्रकृति (Nature of Educational Psychology)
- शिक्षा मनोविज्ञान का क्षेत्र अपनी प्रकृति के कारण इतना व्यापक बन गया है कि इसके बारे में कहा जाने लगा है कि जहाँ व्यवहार है, वहीं मनोविज्ञान है। व्यक्ति, देश, समाज का सर्वांगीण विकास शिक्षा के द्वारा ही सम्भव होता है। एक ओर जहाँ यह शुद्ध विज्ञान है, वहीं दूसरी ओर सामाजिक विज्ञान भी है। एक ओर जहाँ यह शिशुओं के व्यवहार और उनकी शिक्षा पर विचार करता है, वहीं दूसरी ओर प्रौढ़ों के व्यवहार और शिक्षा पर भी बल देता है। इसी तरह जहाँ इसका सम्बन्ध लड़कियों के व्यवहार से है, तो दूसरी ओर लड़कों के व्यवहार का अध्ययन भी करता है। एक ओर सम्पन्न परिवार में पलने वाले बच्चों की समस्याओं का अध्ययन करता है, वहीं पिछड़े हुए बालकों की समस्याओं के अध्ययन पर भी बल देता है। यही नहीं जहाँ इसमें शिक्षार्थियों के व्यवहार का अध्ययन सम्मिलित है, वहीं शिक्षकों, अभिभावकों, वातावरण आदि सभी को ही समाहित कर लेता है। इससे भी आगे इसके अध्ययन पर बल दिया जाये, तो यह मनोविज्ञान का एक अंग मात्र है, परन्तु यह अपनी प्रकृति के अनुसार शिक्षा मनोविज्ञान के सम्पूर्ण अंग को स्वयं में समाहित किये हुए है।
- उदाहरणार्थ-पशुओं के व्यवहार का अध्ययन मनोविज्ञान के अन्तर्गत आता है। शिक्षा मनोविज्ञान के अन्तर्गत नहीं। मानव की जो मूल प्रवृत्तियाँ पशुओं या अन्य प्राणियों से मिलती- जुलती हैं और जिनका अध्ययन मनुष्य पर करना सम्भव नहीं है, उनका अध्ययन पशुओं पर करके मानव व्यरहार के साथ उसका सम्बन्ध स्थापित करते हैं, जैसे- चिम्पाजी पर किया गया कोहलर का 'सूझ का सिद्धान्त' ।
- शिक्षा मनोविज्ञान शुद्ध विज्ञान भी है और सामाजिक विज्ञान भी। जिस विज्ञान में निरीक्षण से लेकर सामान्यीकरण और सत्यापन की गुंजाइश हो, वही शुद्ध विज्ञान है। शिक्षा के किसी भी स्तर को क्यों न देखा जाए? चाहे वह विद्यार्थी हो या शिक्षक अथवा समीक्षक, सभी समाज के विभिन्न अंग हैं। उनके व्यवहार पर सामाजिक रीति-रिवाजों, नीतियों, परम्पराओं, परिवेश, परिस्थितियों आदि का प्रभाव पड़ता है। अतः यह सामाजिक विज्ञान भी है। अन्त में शिक्षा मनोविज्ञान की प्रकृति के सम्बन्ध में यह कहा जा सकता है-
(1) शिक्षा मनोविज्ञान की प्रकृति वैज्ञानिक है।
(2) यह विज्ञान अपनी खोजों के लिये वैज्ञानिक विधियों का प्रयोग करता है। खोज के आधार पर जो निष्कर्ष निकाले जाते हैं, उनका प्रयोग शिक्षा की समस्याओं के समाधान के लिये किया जाता है।
(3) शिक्षा मनोविज्ञान किसी भी छात्र के विषय में भविष्यवाणी कर सकता है।
(4) इसके आधार पर शिक्षक किसी भी समस्या का विश्लेषण कर सकता है। उस समस्या के समाधान के उपाय खोज सकता है।
(5) इसकी प्रकृाते लचाली एव स्थिर है। अति व्यापक एव अति सूक्ष्म भो है। यह सर्वव्यापी और सार्वभौमिक है।
(6) इसका सम्बन्ध यदि शिक्षण से है, तो अधिगम से भी है।
(7) यदि इसमें मानव व्यवहार का कार्यगत अध्ययन है, तो कार्यों को प्रभावित करने वाली भावनाओं का भी।
(8) इसकी अपनी समस्याएँ हैं, तो समाधान भी हैं।
शिक्षा मनोविज्ञान का क्षेत्र (Scope of Educational Psychology)
शिक्षा मनोविज्ञान के क्षेत्र का अध्ययन निम्नलिखित शीर्षकों के अन्तर्गत किया जा सकता है-
1. मानव विकास (Human Development) -
- शिक्षा मनोविज्ञान बालक के विकास को अवस्थाओं का अध्ययन करता है। यह अध्ययन वैज्ञानिक रीति से किया जाता है। इसमें विकास की तीन प्रमुख अवस्थाओं-शैशवास्था, बाल्यावस्था और किशोरावस्था आदि का अध्ययन किया जाता है। इन्हीं विशेषताओं को ध्यान में रखकर बालक की शिक्षा का प्रबन्ध किया जाता है।
2. असाधारण बालकों का अध्ययन (Study of Abnormal Students)-
- विद्यालय में सभी प्रकार के बालक पढ़ने आते हैं। इनमें से कुछ पिछड़े, कुछ मन्द बुद्धि, कुछ समस्यात्मक तथा कुछ प्रतिभाशाली होते हैं। ऐसे बालकों का अध्ययन किया जाता है तथा उनकी विशेष शिक्षा का प्रबन्ध किया जाता है।
3. व्यक्तिगत भिन्नताओं का अध्ययन (Study of Individual Differences)-
- सभी बालक एक समान नहीं होते हैं। उनकी रुचियाँ, अभिरुचियाँ, बौद्धिक स्तर तथा क्षमताएँ भिन्न-भिन्न होती हैं। शिक्षा मनोविज्ञान यह बताता है कि व्यक्तिगत भिन्नताओं के आधार पर शिक्षा क्यों और कैसे देनी चाहिए ?
4. अनुशासन सम्बन्धी अध्ययन (Discipline related Study) - प्रत्येक शैक्षणिक
- संस्था में अनुशासन का विशेष महत्व होता है, परन्तु विद्यालय में यह समस्या शिक्षा मनोविज्ञान के द्वारा सुलझायी जाती है। विद्यालय में अनुशासन स्थापित करने के लिये शिक्षा मनोविज्ञान की सहायता ली जाती है।
5. व्यक्तित्व का अध्ययन (Study of Personality) -
- व्यक्तित्व क्या है ? साधारण भाषा में व्यक्तित्व का जो अर्थ लगाया जाता है, मनोविज्ञान में वह व्यक्तित्व नहीं कहलाता है। अनेक शीलगुण (Personality traits) व्यक्तित्व का निर्माण करते हैं। शिक्षा मनोविज्ञान मे इन्हीं शीलगुणों का अध्ययन किया जाता है।
6. मापन तथा मूल्यांकन (Measurement and Evaluation) -
- शिक्षा में मूल्यांकन का विशेष महत्व होता है। शिक्षक और अभिभावक यह जानना चाहते हैं कि उनके बालको ने कितना ज्ञान अर्जित किया है एवं भविष्य में उनसे क्या आशा की जा सकती है। शिक्षा मनोविज्ञान में बुद्धि का मापन, व्यक्तित्व का मापन एवं निष्पत्ति का मापन किया जाता है।
7. सीखना (Learning)-
- शिक्षा जगत की यह समस्या रहती है कि शिक्षक यह जाने कि बालक कैसे सीखते हैं? उनके सीखने को कैसे प्रभावशाली बनाया जा सकता है? सीखने के अन्तर्गत निम्नलिखित का अध्ययन होता है-
- (अ) सीखने के नियम,
- (ब) सीखने के सिद्धान्त,
- (स) सीखने को प्रभावित करने वाले तत्व,
- (द) सीखने का स्थानान्तरण और पठार आदि।
8. थकान एवं रुचि का अध्ययन (Srudy of Fatigue and Interest) -
- शिक्षा मनोविज्ञान में जानकारी दी जाती है कि बालकों में थकान क्यों होती है तथा यह थकान किस प्रकार दूर की जा सकती है ? बालकों में किसी विशेष विषय के प्रति रूच क्यों होती है और उनकी रुचियों को किस प्रकार जाग्रत किया जा सकता है।
9. अध्ययन विधियाँ (Study Methods) -
- शिक्षा मनोविज्ञान में अध्ययन विधियाँ उपयुक्त होती हैं, किन्तु सभी अध्ययन पद्धतियाँ सभी स्थानों पर उपयुक्त नहीं होती हैं। इसी कारण नवीन विधियों का विशेष विकास किया जाना चाहिए। ऐसा करना भी शिक्षा मनोविज्ञान के अन्तर्गत आता है।
10. पाठ्यक्रम निर्माण (Curriculam Formation) -
- सभी छात्रों के लिये एक-सा पाठ्यक्रम नहीं बनाया जा सकता। पाठ्यक्रम का निर्माण छात्रों की रुचियों, आवश्यकताओं, आयु तथा क्षमताओं के अनुसार किया जाना चाहिए।
- उपर्युक्त विवेचन के आधार पर स्किनर के शब्दों में यह कहा जा सकता है- "शिक्षा मनोविज्ञान के क्षेत्र में वे सब व्यवहार, वे सब तत्व सम्मिलित है जिनका सम्बन्ध शिक्षा से है।"