साक्षात्कार विधियों की तकनीकें (Techniques of Interview Method)
साक्षात्कार विधि (Interview Method)
- छात्रों के व्यक्तित्व को मापने तथा उन्हें परामर्श देने के लिये साक्षात्कार विधि का प्रयोग किया जाता है। परामर्श की तो यह अत्यधिक महत्वपूर्ण विधि है। इसके आधार पर साक्षात्कार देने वाले व्यक्ति के बारे में सभी सूचनाएँ एवं तथ्य एकत्र किये जा सकते हैं तथा इनके आधार पर साक्षात्कारकर्ता किसी निष्कर्ष पर पहुँच सकता है। इस प्रकार साक्षात्कार में दो व्यक्तियों का आमने-सामने का समर्थक होता है- साक्षात्कारकर्ता तथा साक्षात्कार देने वाला। साक्षात्कार एक आत्म-निष्ठ विधि है, जिसके द्वारा व्यक्ति की समस्याओं तथा गुणों का ज्ञान प्राप्त किया जा सकता है। इसमें दो व्यक्तियों में आमने-सामने मौखिक वार्तालाप होता है, जिसके द्वारा व्यक्ति की समस्याओं का समाधान खोजने तथा शारीरिक और मानसिक दशाओं का ज्ञान प्राप्त करने का प्रयास किया जाता है।
साक्षात्कार की कुछ प्रमुख परिभाषाएँ इस प्रकार हैं-
1. पी.वी. युंग-
- साक्षात्कार को एक क्रमबद्ध प्रणाली माना जा सकता है, जिसके द्वारा एक व्यक्ति, दूसरे व्यक्ति के आन्तरिक जीवन में अधिक अथवा कम काल्पनिकता से प्रवेश करता है, जो उसके लिये सामान्यतः तुलनात्मक रूप से अपरिचित है।
2. गुड व हैट-
- किसी उद्देश्य से किया गया गम्भीर वार्तालाप ही साक्षात्कार है।
3. एम. के. कोचर-
- साक्षात्कार दो व्यक्तियों के आमने-सामने का मिलन होता है तथा वे किसी विषय के सम्बन्ध में विचारों का आदान-प्रदान करते हैं।
4. जे.सी. अग्रवाल-
- साक्षात्कार में दो व्यक्ति आमने-सामने की स्थिति में होते हैं। इनमें एक व्यक्ति दूसरे व्यक्ति को अपनी समस्याओं को समझने और उनका समाधान करने में सहायता देता है।
साक्षात्कार विधि की विशेषताएँ (Characteristics of Interview Method)-
उपर्युक्त परिभाषाओं के आधार पर हमें साक्षात्कार विधि को निम्नलिखित विशेषताएँ प्राप्त होती हैं-
(1) साक्षात्कार में आमने-सामने बैठकर किसी उद्देश्य को लेकर दो व्यक्तियों में वार्तालाप होता है।
(2) यह व्यक्ति से व्यक्ति का सम्बन्ध है।
(3) यह एक-दूसरे से सम्पर्क स्थापित करने का साधन है।
(4) साक्षात्कार में संलग्न दो व्यक्तियों में से एक को साक्षात्कार के उद्देश्य का ज्ञान रहता है।
(5) इसके प्रयोग से व्यक्ति के विषय में विभिन्न जानकारियाँ संग्रहित की जाती हैं।
साक्षात्कार विधि का प्रयोग (Use of Interview Metnod) -
विभिन्न विद्वानो के अनुसार साक्षात्कार विधि का प्रयोग निम्नलिखित प्रकार के कार्यों के लिये किया जाता है-
(1) क्रो एवं क्रो के अनुसार साक्षात्कार विधि का उपयोग निर्देशन में प्रमुख रूप से किया जाता है।
(2) राइटस्टोन एवं अन्य (Wrightstone and Others) के मत में साक्षात्कार विधि द्वारा छात्रों के सम्बन्ध में सूचनाएँ संग्रहित की जाती हैं।
(3) इसके द्वारा नवीन व्यक्तियों का नौकरी के लिये चुनाव किया जाता है।
(4) छात्रों की प्रमुख समस्याओं से अवगत होकर उनका समाधान किया जाता है।
(5) छात्र के शारीरिक विकास, मुख्य दोषों तथा व्यावसायिक रुझानों के विषय में जानकारी प्राप्त की जाती है।
(6) इसके द्वारा छात्र के व्यवहार की जानकारी प्राप्त की जाती है।
(7) छात्रों की रुचियों, रुझानों तथा अध्ययन सम्बन्धी आदतों की जानकारी प्राप्त करने में सहायता मिलती है।
(8) छात्रों को अपने परिवार, विद्यालय, साथियों आदि से समायोजन करने हेतु सहायता देना।
साक्षात्कार विधि के प्रकार (Types of Interview Metnod) -
विभिन्न विद्वानों ने साक्षात्कार विधि के अनेक प्रकारों का वर्णन किया है, जिनमें से प्रमुख निम्नलिखित हैं-
1. नैदानिक साक्षात्कार (Diagnostic Interview) -
- इस साक्षात्कार का उद्देश्य किसी गम्भीर सामाजिक घटना या समस्या के कारणों की खोज करना होता है। व्यक्ति से इस ढंग से वार्तालाप किया जाता है कि उसको अपनी चिन्ताओं से मुक्ति मिले।
2. नियुक्ति साक्षात्कार (Employment Interview) -
- इस साक्षात्कार का मुख्य उद्देश्य जीविका के लिये व्यक्ति की उपयुक्तता निश्चित करना होता है। इसमें जीविका से सम्बन्धित प्रश्न पूछे जाते हैं।
3. शोध साक्षात्कार (Research Interview) -
- इससे विभिन्न सामाजिक विषयों व घटनाओं से सम्बन्धित कारणों की खोज करने का प्रयास किया जाता है।
4. परामर्श साक्षात्कार (Consultation Interview) -
- परामर्श प्रक्रिया में साक्षात्कार का विशेष ध्यान है। इसका उद्देश्य व्यक्ति में सूझ उत्पन्न करना है, जिससे व्यक्ति को आत्म- बोध करने में सहायता मिले।
5. तथ्य संकलन साक्षात्कार (Fact-finding Interview) -
- इसमें व्यक्ति या व्यक्तियों के समुदाय से मिलकर तथ्य संकलित किये जाते हैं।
6. सर्वेक्षण साक्षात्कार (Survey Interview) -
- इस साक्षात्कार में एक व्यक्ति के बजाय अनेक व्यक्ति दिलचस्पी के पात्र होते हैं। सार्वजनिक जनमत संग्रह में इसी उद्देश्य से व्यक्तियों के साक्षात्कार किये जाते हैं।
साक्षात्कार विधियों की तकनीकें (Techniques of Interview Method)-
साक्षात्कार के लिये प्रमुख रूप से दो विधियों का प्रयोग किया जाता है-
1. निर्देशात्मक विधि (Directing Method)-
- इसमें व्यक्ति से निर्देशक (Directing) प्रश्न किये जाते हैं। प्रश्न करने के साथ-साथ साक्षात्कारकर्त्ता सुझाव भी देता जाता है।
2. अनिर्देशात्मक विधि (Indirecting Method) -
- यह व्यक्ति प्रधान विधि है। इसमें समस्या की अपेक्षा साक्षात्कार देने वाले व्यक्ति पर अधिक ध्यान दिया जाता है तथा उसे अपने दमित संवेगों तथा भावनाओं को स्वतन्त्रतापूर्वक व्यक्त करने का अवसर दिया जाता है। इस विधि में प्रमुख बल इस बात पर दिया जाता है कि साक्षात्कार देने वाले व्यक्ति में अन्तर्दृष्टि उत्पन्न हो अर्थात् वह स्वयं समस्याओं का हल खोज सकें।
साक्षात्कार के पद (Steps of Interview) -
साक्षात्कार लेने के लिये निम्नलिखित पद प्रयोग में लाया जाता है-
1. साक्षात्कार की तैयारियाँ (Readyness of Interview) - तैयारी में निम्नलिखित बातों पर ध्यान दिया जाता है-
(i) समस्या का पूर्ण ज्ञान प्राप्त करना।
(ii) तत्पश्चात साक्षात्कार परिचय पुस्तिका की रचना करना।
2. साक्षात्कार की प्रक्रिया (Process of Interview) -
(1) साक्षात्कारदाता से सम्पर्क स्थापित करना,
(2) सहयोग की प्रार्थना,
(3) प्रश्नों का पूछना,
(4) पुनः स्मरण करना,
(5) प्रोत्साहन देना,
(6) क्रोधित होने से बचना,
(7) उचित प्रश्न पूछना,
(8) सूचना को नोट करना,
(9) साक्षात्कार की समाप्ति,
(10) रिपोर्ट लिखना।
साक्षात्कार की दशाएँ (Condition of Interview) -
सफल साक्षात्कार के लिये निम्न प्रकार की दशाओं का होना परम आवश्यक है-
1. उचित वातावरण (Well Environment)
- साक्षात्कार के लिये शुष्क और आतंकपूर्ण वातावरण पूर्णतया अनुचित होता है। सफल साक्षात्कार, प्रेम, सहयोग, सहानुभूति, मित्रता के वातावरण में ही हो सकता है। साक्षात्कार देने वाले को साक्षात्कार लेने वाला कोई पदाधिकारी न लगकर मित्र और सहयोगी लगना चाहिए।
2. एकान्त स्थान (Silent Place)-
- साक्षात्कार एकान्त वातावरण में ही सफल हो सकता है, क्योंकि प्रथम, साक्षात्कार लेने की प्रक्रिया में किसी प्रकार की बाधा नहीं आती। द्वितीय, साक्षात्कारकर्ता व्यक्ति की समस्याओं को भली प्रकार समझ जाता है। तृतीय, साक्षात्कार देने वाला प्रत्येक व्यक्ति के सम्मुख अपने मनोभावो को प्रकट नहीं कर सकता। वह अपने मन की ग्रन्थियों को एकान्त स्थान पर ही खोल सकता है।
3. पर्याप्त स्मय (More Timing) -
- साक्षात्कार अल्प समय में नहीं लिया जा सकता। साक्षात्कार तभी सफल हो सकता है, जब उसके लिये पर्याप्त समय दिया जाय। साक्षात्कार का समय साक्षात्कार देने वाले के बारे में प्राप्त की जाने वाली सूचना की मात्रा और आय पर निर्भर करता है।
4. आत्मीयता की स्थापना (Stablishment of Affinity) -
- साक्षात्कार उस समय ही सफल हो सकता है, जबकि साक्षात्कार देने वाले व्यक्ति के साथ आत्मीयता के सम्बन्ध स्थापित किये जायें। इसके लिये साक्षात्कार लेने वाले को कुछ शब्दों द्वारा साक्षात्कार देने वाले के साथ सहानुभूति प्रकट करनी चाहिए।
साक्षात्कार करना (Interviewing)-
साक्षात्कार करते समय साक्षात्कारकर्ता को निम्नलिखित सुझावों को ध्यान में रखना चाहिए-
(1) साक्षात्कार देने वाले के प्रति मित्रता और सहानुभूति का व्यवहार किया जाय।
(2) साक्षात्कार देने वाले में यह विश्वास उत्पन्न करे कि उसकी समस्या का समाधान अवश्य होगा।
(3) तनाव को दूर करने के लिये हास्य का भी प्रयोग करना चाहिए।
(4) साक्षात्कार लेते समय इस बात का प्रयत्न किया जाय कि साक्षात्कार देने वाला आराम का अनुभव करे।
(5) साक्षात्कार देने वाले की भावनाओं को चोट न पहुँचाई जाये।
(6) साक्षात्कार देने वाले की बातों को धैर्यपूर्वक सुना जाय, चाहे वह इधर-उधर की बातें ही क्यों न करे।
(7) साक्षात्कारकर्ता को व्यक्ति की किसी बात का विरोध या आलोचना नहीं करना चाहिए।
(8) साक्षात्कारकर्ता का साक्षात्कार की अर्वाध में क्रोध नहीं करना चाहिए।
(9) साक्षात्कार देने वाले का यथासम्भव आदर किया जाय, उसमें हीनता की भावनाओं का समावेश न किया जाय।
(10) साक्षात्कारकर्ता को अपना सम्पूर्ण ध्यान व्यक्ति की समस्या पर केन्द्रित करना चाहिए। व्यर्थ की बातों में अपने को न उलझायें।
(11) साक्षात्कारकर्त्ता को उपदेशक नहीं बनना चाहिए।
(12) साक्षात्कार देने वाले को स्वयं अपनी समस्या को हल करने के लिये प्रेरित किया जाय।
साक्षात्कार विधि की उपयोगिता और महत्व (Utility and Importance of Interview Method)-
साक्षात्कार को उपयोगिता और महत्व पर विभिन्न विद्वानों ने निम्नलिखित विचार प्रकट किये हैं-
(1) साक्षात्कार द्वारा अमूर्त घटना का अध्ययन किया जा सकता है।
(2) इसके द्वारा सभी प्रकार की सूचनाओं को प्राप्त किया जा सकता है।
(3) साक्षात्कार द्वारा छात्रों की आन्तरिक भावनाओं को स्पष्ट किया.
4) साक्षात्कारकर्ता प्रश्नों की सहायता से किसी छात्र से सम्बन्धित पूर्व घटनाओं की जानकारी प्राप्त कर सकता है। इस प्रकार इस विधि द्वारा भूतकालीन घटनाओं का अध्ययन किया जा सकता है।
(5) मनोवैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी यह एक महत्वपूर्ण विधि है, क्योंकि इसमें सूचनादाता, साक्षात्कारकर्ता के सम्मुख रहता है, जो उसके मनोभावों को सुगमता से समझ लेता है।
(6) इसमें सूचना का सत्यापन सम्भव होता है।
(7) रुथ स्ट्रेंग (Ruth Strang) के अनुसार साक्षात्कार परामर्श-प्रक्रिया का प्रमुख स्तम्भ है।
(8) जोन्स का मत है कि साक्षात्कार द्वारा व्यक्ति अपने विषय में सर्वोत्तम ढंग से जानकारी प्राप्त कर लेता है।
(9) इसके द्वारा छात्र की अन्तर्दृष्टि (Insight) को विकसित किया जा सकता है।
(10) यह विधि सरल होने के कारण उपयोगी है।
(11) सम्पूर्ण व्यक्ति को समझने की यह सर्वोत्तम विधि है।
(12) इसके द्वारा छात्र की रुचियों, रुझानों, आदतों तथा दृष्टिकोणों का ज्ञान प्राप्त करके उनमें वांछित परिवर्तन किये जा सकते हैं।
(13) यह व्यक्ति के समस्त गुणों व अवगुणों का सम्पूर्ण चित्र उपस्थित करता है।
(14) साक्षात्कार विधि का प्रयोग निरक्षर व्यक्ति के लिये भी प्रभावशाली ढंग से किया जा सकता है।
(15) राइटस्टोन व अन्य के अनुसार साक्षात्कार, मूल्यांकन करने का उपयोगी साधन है।