मगध राज्य का इतिहास महत्वपूर्ण तथ्य
- ईसा-पूर्व छठी सदी से पूर्वी उत्तर प्रदेश और पश्चिमी बिहार में लोहे का व्यापक प्रयोग होने से बड़े-बड़े प्रादेशिक या जनपद राज्यों के निर्माण के लिये उपयुक्त परिस्थितियाँ बनीं।
- पूर्व से शुरू करने पर सबसे पहले अंग जनपद था जिसमें आधुनिक मुंगेर और भागलपुर जिले पड़ते हैं। उसके बाद मगध जनपद जो आधुनिक पटना और गया जिले में तथा शाहाबाद का कुछ हिस्सा पड़ता था। उसके बाद काशी जनपद उसके पश्चिम में कोसल जनपद जो पूर्वी उत्तर प्रदेश में पड़ता था तथा सबसे पश्चिम में मत्स्य जनपद पड़ता था।
- मगध ही पहला राज्य था जिसने अपने पड़ोसियों के विरुद्ध युद्ध में हाथियों का बड़े पैमाने पर प्रयोग किया। देश के पूर्वांचल से मगध के शासकों के पास हाथी पहुँचते थे।
- बिम्बिसार की पहली पत्नी कोसलराज की पुत्री और प्रसेनजित की बहन थी।
- उल्लेखनीय है कि बिम्बिसार ने वैवाहिक संबंधों से भी अपनी स्थिति को मजबूत किया। उसने तीन विवाह किये, प्रथम विवाह से काशी ग्राम दहेज स्वरूप मिला और कोसल के साथ शत्रुता समाप्त हो गई। उसकी दूसरी पत्नी वैशाली की लिच्छवि-राजकुमारी चेल्लणा थी, जिसने अजातशत्रु को जन्म दिया और तीसरी रानी पंजाब के मद्र कुल के प्रधान की पुत्री थी।
- बिम्बिसार ने अंग देश पर अधिकार कर लिया और शासन अपने पुत्र अजातशत्रु को सौंप दिया।
- उसने अपने राजवैद्य जीवक को अवन्ति राजा चण्डप्रद्योत महासेन के पीलिया रोग हो जाने पर इलाज़ करने के लिये उज्जैन भेजा था।
- अजातशत्रु ने अपने पिता बिम्बिसार की हत्या करने सिंहासन पर अधिकार किया था।
- अजातशत्रु ने राज्य विस्तार की आक्रमक नीति से काम लिया। उसने अपने समय में काशी और वैशाली को मगध में मिलाया और अपने साम्राज्य का विस्तार किया।
- उदायिन अजातशत्रु के बाद मगध का राजा बना। उसके शासन की महत्त्वपूर्ण घटना है कि उसने पटना में गंगा और सोन के संगम पर एक किला बनवाया था
- मगध पर शिशुनाग वंश के बाद नंद वंश का शासन हुआ। नंद वंश का महापद्म नंद ने कलिंग को जीतकर मगध शक्ति को बढ़ाया और विजय स्मारक के रूप में ‘जिन’ की मूर्ति भी उठा लाए थे। महापद्म नंद ने ‘एकराट’ की उपाधि धारण की थी।
- मगध पर शिशुनाग वंश के शासन के समय अवन्ति राज्य की शक्ति को समाप्त कर उसे मगध राज्य में मिला लिया था, इसके साथ ही अवन्ति और मगध के बीच की सौ साल पुरानी शत्रुता का अंत हो गया।
- मगध राज्य के पास समृद्ध लौह खनिज के भंडार थे। जिसके कारण वे प्रभावशाली हथियार बना सके। उनके विरोधी ऐसे हथियार आसानी से नहीं प्राप्त कर सकते थे।
- मगध राज्य मध्य गंगा के मैदान के मध्य में पड़ता था। इस उर्वरक प्रदेश से जंगल साफ हो चुके थे। यहाँ भारी वर्षा होने के कारण सिंचाई के बिना भी अच्छी पैदावार की जाती थी। परिणामतः यहाँ के किसान काफी अनाज पैदा कर लेते थे और भरण-पोषण के बाद भी उनके पास काफी अनाज बचता था। शासक कर के रूप में इस फाजिल उपज को एकत्र कर लेते थे.
- मगध की दोनों राजधानियाँ-प्रथम राजगीर और द्वितीय पाटलिपुत्र सामरिक दृष्टि से परम महत्त्वपूर्ण स्थानों पर थी।
- राजगीर पाँच पहाड़ियों की श्रृंखला से घिरी थी इसलिये वह दुर्भेद्य था।
- मगध की दूसरी राजधानी पाटलिपुत्र केन्द्र भाग में स्थित होने के कारण सभी दिशाओं से संचार-संबंध स्थापित कर सकते थे।
- पाटलिपुत्र गंगा, गंडक और सोन नदियों के संगम पर स्थित थी। सोन और गंगा नदियाँ इसके पश्चिम और उत्तर में थीं, तो पुनपुन दक्षिण और पूर्व की ओर से घेरे हुए थी। इस प्रकार पाटलिपुत्र एक जलदुर्ग था।