कृषि विकास से संबन्धित शब्दावली
आर्थिक विकास
- आर्थिक विकास की धारणा, आर्थिक संवृद्धि की धारणा से अधिक ब्यापक है। आर्थिक संवृद्धि उत्पादन की वृद्धि से सम्बन्धित है जबकि आर्थिक विकास सामाजिक, आर्थिक, गुणात्मक एवं परिमाणात्मक सभी परिवर्तनों से सम्बन्धित है। जहां आर्थिक संवृद्धि परिमाणात्मक परिवर्तनों से सम्बन्धित है तथा आर्थिक विकास परिमाणात्मक एवं गुणात्मक दोनों प्रकार के परिवर्तनों से सम्बन्धित अर्थात राष्ट्रीय उत्पाद तथा साथ ही जीवन की गुणवत्ता में सुधार ।
आर्थिक संवृद्धि
- आर्थिक संवृद्धि से अभिप्राय किसी समयावधि में किसी अर्थव्यवस्था में होने वाली वास्तविक आय की वृद्धि से है सामान्यतया यदि सकल राष्ट्रीय उत्पाद, सकल घरेलू उत्पाद तथा प्रतिव्यक्ति आय में वृद्धि हो रही है तो हम कहते है कि आर्थिक संवृद्धि हो रही है।
आगत
- आगत किसी भी उत्पादन प्रक्रिया में उत्पादन के साधन होते हैं जैसे जमीन, श्रम, पूँजी तथा उद्यम.
निर्गत
- निर्गत उत्पादन प्रक्रिया में सभी उत्पादन के साधनों का प्रयोग करने के बाद उत्पादित अन्तिम वस्तुएँ तथा सेवाये है ।
प्राथमिक क्षेत्र
- प्राथमिक क्षेत्र में मुख्यतः कृषि (वानिकी एवं पशुपालन ), खनन तथा मछली व्यवसाय को शामिल किया जाता है।
द्वितीयक क्षेत्र
- द्वितीयक क्षेत्र में सभी प्रकार के उद्योग आते है।
तृतीयक क्षेत्र
- तृतीयक क्षेत्र में सेवाएं जैसे बैंकिग, परिवाहन, व्यापार इत्यादि को शामिल किया जाता है।
पूँजी निर्माण
- व्यक्तियों एवं घरेलू क्षेत्र की बचतों को व्यवसायिक क्षेत्र में निवेश किया जाता ।
सकल घरेलू उत्पाद (जी. डी.पी.)
- किसी देश की घरेलू सीमा के भीतर स्थित निवासी उत्पादक तथा गैर निवासी उत्पादक इकाइयों द्वारा उत्पादित अन्तिम वस्तुओं तथा सेवाओं के कुल मूल्य का योग होता है।
उत्पादन
- उत्पादन का सम्बन्ध किसी क्षेत्र में उत्पादन की कुल मात्रा से है ।
उत्पादकता
- उत्पादकता का सम्बन्ध प्रति इकाई भूमि में कुल उत्पादन से है ।
कम लोचदार माँग
- जब एक वस्तु की माँग में आनुपातिक परिवर्तन कीमत में आनुपातिक परिवर्तन की अपेक्षा कम होता है तो इसे कम लोचदार माँग कहते है ।
अधिक लोचदार माँग
- जब एक वस्तु की माँग में आनुपातिक परिवर्तन कीमत में आनुपातिक परिवर्तन की अपेक्षा ज्यादा होता है तो इसे अधिक लोचदार माँग कहते है।
अधोसंरचना
- एक देश की आन्तरिक सुविधा जो कि ब्यवसायिक क्रियाओं को सम्भव बनाती है जैसे कि दूरसंचार, परिवहन, वित्तीय संस्थाए, उर्जा पूर्ति इत्यादि सेवाएं ।
घटते प्रतिफल का नियम
- यदि साधनों को जिस अनुपात में बढ़ाया जाता है, उत्पादन उससे कम अनुपात में बढ़ता है तो इसे घटते प्रतिफल का नियम कहते है। जैसे यदि सभी साधनों को 10% बढ़ाया जाता है, लेकिन उत्पादन 8% बढ़ता है तो इसे घटते प्रतिफल का नियम कहते है ।
संयुक्त उत्पाद
- संयुक्त उत्पाद दो या दो से अधिक वें उत्पाद है जो एक ही उत्पादन प्रक्रिया से एक साथ उत्पादिक किए जाते है जैसे दूध से दही, घी इत्यादि ।
नाशवान उत्पाद
- ऐसी वस्तुएं या उत्पाद जो बहुत ही कम समय में नष्ट हो जाते है.