महमूद गजनवी के आक्रमणों का प्रयोजन तथा परिणाम
( Motives and Results of Mahmud Ghaznavi's Invasion)
महमूद गजनवी के आक्रमणों का प्रयोजन तथा परिणाम
(क) महमूद के आक्रमणों के प्रयोजन ( Motives of Mahmud's Invasion) :
महमूद के आक्रमणों के कारणों के बारे में कई प्रकार के मत प्रकट किये जाते हैं। कुछ लोगों का मत है कि उसने भारत पर बार- बार आक्रमण किया केवल इसलिए कि मूर्तिपूजकों के इस देश में इस्लाम धर्म फैलाए। दूसरे लोगों का मत यह है कि उसका बड़ा प्रयोजन भारत की दौलत को लूटना था। वह एक महान लुटेरा था जो अपनी स्वर्ण-लिप्सा को शांत करने यहाँ आया, नगर जलाए, जाने लीं लूटमार की अधिकार जमाया और फिर लौट गया। कुछ और लोगों का मत है कि महमूद गजनवी एक महान सेनानी तथा विजेता था और यह उसकी अवृत्त विजय लालसा ही थी जो उसे हमारे देश में ले आई। इस प्रकार महमूद के भारत पर आक्रमणों के बारे में भिन्न-भिन्न मत हैं और इन मतों पर संक्षेप में इस प्रकार चिन्तन किया जा सकता है-
(i) धार्मिक प्रयोजन (Religious Motives) :
उत्तरी जैसे समकालीन लेखकों का मत यह है कि भारत पर महमूद की चढाइयों का बड़ा लक्ष्य मूर्तिपूजा को कुचलना और इस्लाम धर्म फैलाना था। महमूद को खलीफा कादिर बिल्ब ने विशेष रूप से यह काम सौंपा था कि भारत में जाकर इस्लाम धर्म फैलाओ और महमूद ने बार-बार अपने आक्रमणों में भारत में इस्लाम का पौधा लगाने का प्रयास किया। उसने नगरकोट, सोमनाथ और अन्य स्थानों के बड़े- बड़े हिन्दू मन्दिरों को नष्ट-भ्रष्ट कर डाला और बहुत से राजाओं समेत हजारों लोगों को इस्लाम धर्म स्वीकार करने पर बाध्य किया।
परन्तु डा. नाजम, एस. एम. जाफिर और हबीब इस मत को नहीं मानते। इन लेखकों का कहना यह है कि महमूद के आक्रमण का लक्ष्य धार्मिक था ही नहीं। महमूद ने भारत में एक सच्चे और कट्टर मुसलमान का व्यवहार नहीं किया। क्योंकि जैसा हबीब साहिब बताते हैं "इस्लाम ने आक्रमणकारी को न ही सौन्दर्यनाशक प्रयोजन और न ही लूटमार के प्रयोजन की स्वीकृति दी है।" महमूद गजनवी ने हिन्दुओं के पवित्र मन्दिरों को नष्ट अवश्य किया। इस कारण से नहीं कि वह मूर्तिपूजन को मिटाना चाहता था अपितु इस कारण से कि ये मंदिर दौलत के भंडार थे। दूसरी बात यह है कि भारत में जितना भी धर्म परिवर्तन हुआ वह आकस्मिक था और कोई सोची समझी बात नहीं थी । डा. नाजम का कहना है कि " आक्रमणकर्ता के क्रोध के कारण ही कुछ लोगों ने अपना धर्म छोड़कर इस्लाम धर्म को कबूल किया था।" इसके अतिरिक्त यह भूलना नहीं चाहिए कि यदि उसने भारत के हिन्दू राजाओं को परेशान किया तो उसने ईरान तथा मध्य एशिया के मुसलमान राजाओं को भी नहीं छोड़ा। अतः यह कहना कि उसने भारत पर बार-बार आक्रमण अपने धर्म के प्रसार के लिए किया, ऐतिहासिक रूप से गलत और मनोवैज्ञानिक रूप से झूठ है। यही एस. एम. जाफिर का मत है।
(ii) आर्थिक प्रयोजन (Economic Motives) :
जाफिर और हबीब का कहना है कि भारत पर महमूद के आक्रमणों का वास्तविक प्रयोजन आर्थिक था । महमूद ने भारत की कल्पनातीत दौलत की कहानियाँ सुन रखी थीं उसी को लूटने की खातिर ही उसने इस देश पर चढ़ाई की। जब कभी वह चढ़कर आया तो खूब लूट से मालामाल होकर वापिस गया। वास्तव में एक आक्रमण के अन्दर जो विशाल धनराशि उसके हाथ लगी उसी ने उसके लालच को प्रचण्ड किया और उसे बार-बार आक्रमण करने के लिए प्रेरित किया। नगरकोट और सोमनाथ मन्दिर धार्मिक कारणों से नष्ट नहीं किए गए अपितु उस विशाल सम्पत्ति के कारण जो उनमें छिपी पड़ी थी। महमूद के आक्रमणों के आर्थिक प्रयोजन की चर्चा करते हुए ई.बी. हैबल यह कहता है कि “महमूद बगदाद को उतनी ही निर्दयता से रौंद डालता जितनी निर्दयता से उसने सोमनाथ को लूटा, यदि ऐसा करना उसे लाभदायक और आसान दिखाई देता । "
(iii) राजनैतिक प्रयोजन (Political Motives) :
कुछ इतिहासकारों का कहना है कि भारत पर चढ़ाई करने का महमूद का प्रयोजन अपनी लालसा को शान्त करना था और अपने साम्राज्य को भारत तक फैलाना था। परन्तु यह विचार ठीक नहीं लगता। क्योंकि महमूद ने भारत पर चाहे सत्रह शानदार, चमत्कारपूर्ण तथा सफल आक्रमण किए परन्तु उसने पंजाब को छोड़ और किसी पराजित प्रदेश को हड़प नहीं किया। वास्तव में महमूद ने दो साम्राज्यों के ऊपर शासन करना असम्भव समझा, एक गजनी का साम्राज्य और दूसरा भारत का साम्राज्य । अतः उसके भारतीय आक्रमणों को राजनीतिक नहीं माना जा सकता।
जो कुछ ऊपर अलोचना में आ चुका है, उससे परिणाम निकाला जा सकता है कि भारत पर महमूद की चढ़ाई के पीछे असली कारण आर्थिक तथा धार्मिक थे न कि राजनैतिक डा. ईश्वरी प्रसाद ने यह कह कर उसी बात को दोहराया है कि “ महमूद के आक्रमणों का लक्ष्य दौलत था न कि भूमि अधिकार। इस तरह मूर्तिपूजन का विनाश था न कि विजय लालसा । "
महमूद के आक्रमणों के परिणाम (Results of Mahmud's Invasions ) :
महमूद ने भारत पर कोई सत्रह आक्रमण किए और उसने एक बार भी हार नहीं खाई। माना कि उसके आक्रमण बड़े शानदार चमत्कारपूर्ण और सफल थे परन्तु उनसे कोई स्थाई साम्राज्य नहीं बन पाया क्योंकि महमूद भारत में मुस्लिम राज्य की स्थापना नहीं कर सका। तो भी उसके आक्रमण अत्यन्त ही परिणाम रहित नहीं थे। उसके आक्रमणों के बड़े-बड़े परिणाम निम्नवत् गिनवाए जा सकते हैं-
(i) पंजाब गजनवी साम्राज्य का अंग बन गया (Punjab became a part of Ghaznavi Empire) :
महमूद के आक्रमण का एक अस्थायी परिणाम यह हुआ कि पंजाब तथा सिन्ध के कुछ भागों और मुलतान को जीतकर गजनवी साम्राज्य में मिला लिए गए। डेढ़ शताब्दी से अधिक समय तक महमूद की संतान पंजाब पर राज्य करती रहीं और अन्त में इस पर मुहम्मद गौरी ने अधिकार कर लिया।
(ii) राजपूतों की कमजोरी की पोल खुली (Weakness of Rajputs exposed) :
दूसरी बात कि महमूद के लगातार आक्रमणों और उसकी सफलताओं ने राजपूतों की कमजोरियों की पोल खोल दी। एक भी आक्रमण में महमूद को पीछे नहीं हटना पड़ा। उसने विजय पर विजय प्राप्त की तो यह स्वाभाविक ही था कि राजपूतों की कमजोरी और उनकी सामाजिक, राजनैतिक तथा सैनिक प्रणाली की त्रुटियाँ सबकी सब नग्न हो गईं।
(iii) भारत पर मुसलमानी विजय में सुगमता (Muslim conquest of India facilitated) :
माना कि महमूद ने भारत में किसी इस्लामी राज्य की स्थापना नहीं की तो भी उसके आक्रमणों ने इसके लिए मार्ग अवश्य तैयार कर दिया। उसके आक्रमणों ने विदेशियों के लिए भारत के उत्तर-पश्चिमी द्वार खोल दिये और क्योंकि अपनी सफलताओं द्वारा उसने भारत की कमजोरी की पोल पहले ही खोल दी थी इसलिए मुहम्मद गौरी के नेतृत्व में मुसलमानों को करने और यहाँ मुस्लिम साम्राज्य की नींव डालने की प्रेरणा मिली।
(iv) भारत की दौलत लूट ली गई ( India's wealth looted) :
महमूद के आक्रमणों का एक और परिणाम यह हुआ कि भारत की बहुत-सी दौलत लूट ली गई। महमूद लालची तो था ही इसलिए अपने साथ लूट का माल हर बार जी भर कर ले गया।
(v) कला को धक्का (Blow to Art) :
महमूद के हमलों ने भारत की प्राचीन भवनकला तथा मूर्तिकला को करारी चोट पहुँचाई। मथुरा वृन्दावन, नगरकोट और सोमनाथ के बड़े-बड़े नगर तथा देवी-देवताओं की सुन्दर मूर्तियाँ नष्ट कर दी गई। इस प्रकार हिन्दुओं की प्राचीन शानदार कला को बहुत धक्का लगा।
(vi) इस्लाम का फैलाव (Spread of Islam ) :
महमूद के आक्रमणों ने भारत में इस्लाम के फैलाव में भी बड़ा भारी योगदान दिया। महमूद के सैनिक के साथ-साथ मुसलमान संत भी आये जो भारत में बस गये जिन्होंने इस्लाम धर्म के प्रचार में अपना जीवन लगा दिया। उन्होंने बहुत लोगों को मुसलमान बनाया और इस प्रकार भारत में इस्लाम का पौधा लगाया गया।