अरब विजय के सिंध पर प्रभाव (Impact of Arab Conquest on Sindh)
अरब विजय के सिंध पर प्रभाव
सिन्ध पर अरब विजय ने भारत के इतिहास पर कोई पक्का प्रभाव नहीं छोड़ा। स्टैनले लेनपूल का कहना यह है कि, "यह भारत और इस्लाम के इतिहास में एक उपकथा मात्र थी एक ऐसी विजय थी जिसका कोई परिणाम नहीं निकला।" एक गहरी और आलोचनापूर्ण छान-बीन निस्संदेह यह सिद्ध करती है कि लोगों को राजनीतिक, सामाजिक, धार्मिक, आर्थिक या सांस्कृतिक जीवन पर अरब विजय का कोई महत्त्वपूर्ण प्रभाव नहीं पड़ा और यह बात ठीक ही है कि इसे भारत के इहिास में केवल एक घटना ही समझा जाता है।
1. राजनीतिक क्षेत्र :
अरबों ने केवल सिन्ध और मुलतान को जीता। बुल्जलेहेग के शब्दों में उनकी विजय का भारत के विशाल प्रदेश के किनारे के केवल एक छोटे से भाग पर ही प्रभाव पड़ा। सिन्ध और निचले पंजाब के परे अनेक ऐसे स्वतन्त्र राज्य थे जो सदैव की तरह स्वतन्त्र और शक्तिशाली बने रहे। भारत के दूसरे शासकों ने राजा दाहिर की हार को एक स्थानीय और साधारण घटना समझा। इस प्रकार अरब लोग हमारे देश में अपने साम्राज्य को स्थापित नहीं कर सके और सिन्ध की अरब विजय के बाद भारत की राजनीतिक दशा लगभग वैसी ही बनी रही जैसी उनके के समय थी।
2. सामाजिक क्षेत्र :
सामाजिक क्षेत्र में अरब विजय बेकार तथा निष्फल सिद्ध हुई। जाति पाँति के कारण हिन्दू लोग अरबों से अधिक सम्पर्क में नहीं आये। खैर, बाद में कुछ-कुछ सामाजिक तथा वैवाहिक सम्बन्ध स्थापित हुए परन्तु फिर भी अरब लोग भारतीयों की भाषा, परम्परा, रिवाज संस्थाओं और रीतियों पर प्रभाव नहीं डाल सके।
3. धार्मिक क्षेत्र :
अरब लोग यहाँ के लोगों के धार्मिक जीवन पर भी कोई प्रभाव नहीं डाल सके। इस्लाम को फैलाने की उनकी अत्यन्त ही विवश करने वाली कोशिशों के होते हुए भी उन्हें अधिक सफलता प्राप्त नहीं हुई । सिन्ध के लोगों ने अपना धर्म त्याग करने की अपेक्षा मृत्यु को अधिक अच्छा समझा। अतः अरबों को हिन्दुओं से केवल जजिया स्वीकार करके ही सन्तुष्ट होना पड़ा और ये लोग अपने देवताओं और उनकी मूर्तियों की पूजा करते रहे।
यद्यपि अरब लोग हिन्दुओं से उनका धर्म न छुड़ा सके फिर भी इसे इन्कार नहीं किया जा सकता कि यह अरब विजय ही थी जिसने इस देश में इस्लाम का बीज बोया । अरब लोग ही पहले मुसलमान थे जो हमारे देश में आये और यहाँ इस्लाम धर्म को लाये। इसके बाद बहुत से मुसलमान आक्रमणकारियों में प्रेरणा जगी कि भारत पर चढ़ाई करें और इस प्रकार अरबों द्वारा लाये गये धर्म का उन्होंने बहुत जोश से प्रचार किया।
4. आर्थिक क्षेत्र
आर्थिक क्षेत्र में अरब विजय का केवल यह प्रभाव पड़ा कि हिन्दुओं की बहुत-सी भूमि छीनकर अरब लोगों को दे दी गई और हिन्दू लोगों को अर्द्ध-दासों और किसानों की दशा तक पहुँचा दिया गया। भारत की कृषि तथा व्यापार तो इस प्रभाव से बचा ही रहा ।
5. सांस्कृतिक क्षेत्र :
अरब लोग भारतीयों की संस्कृति पर भी प्रभाव न डाल सके जिसका ठीक कारण यह था कि सांस्कृतिक रूप से वे भारतीयों से कहीं अधिक पिछड़े हुए थे। जब अरब लोग भारत की भूमि पर बस गए तो वे भारतीय विद्वानों तथा दार्शनिकों की योग्यता देखकर और भारतीय संगीतकारों, भवन कलाकारों तथा चित्रकारों के कौशल को देखकर चौंधिया से गए। अतः शिक्षक बनने के बजाय वे भारत के शिष्य बन गये। डाक्टर ईश्वरी प्रसाद के शब्दों में, “ अरब विद्वान दर्शनशास्त्र, खगोलशास्त्र, गणितशास्त्र, चिकित्साशास्त्र, रसायनशास्त्र तथा अन्य ऐसे विषयों को जानने के लिए बुद्ध सन्तों और ब्राह्मण पंडितों के चरणों में बैठे। अरबों ने प्रशासन की व्यवहारिक कला में भी हिन्दुओं से बहुत कुछ सीखा। "
भारतीय संस्कृति ने विदेशियों पर इतना गहरा प्रभाव डाला कि इसके बाद खलीफाओं ने भारतीय दार्शनिकों तथा विद्वानों को अपने दरबार में बुलाना आरम्भ कर दिया। 753 से 774 ई. तक मन्सूर खलीफा के समय भारतीय विद्वान ब्रह्मगुप्त के दो ग्रंथ ब्रह्म सिद्धान्त तथा खण्ड खडियाक लेकर बगदाद गये। इन रचनाओं का अरबी भाषा में अनुवाद हुआ और इन्हीं से ही अरब लोगों ने वैज्ञानिक खगोलशास्त्र के पहले 2 नियमों को प्राप्त किया। फिर खलीफा हारुनरशीद (783-808 ई.) के समय बहुत से भारतीय दार्शनिक, विद्वान, ज्योतिषी तथा वैद्य बगदाद गये और वहां उन्होंने औषधि, दर्शनशास्त्र, ज्योतिष तथा अन्य विषयों पर महत्वपूर्ण संस्कृत रचनाओं का अरबी में अनुवाद किया। संक्षेप में अरब संस्कृति के बहुत से तत्व जिन्होंने बाद में यूरोप की समस्त संस्कृति और सभ्यता पर प्रभाव डाला वे भारत से ही लिये गये थे।
इस प्रकार अरब विजय ने भारत के इतिहास और सभ्यता पर कोई महत्वपूर्ण और पक्का प्रभाव पैदा नहीं किया। भारत को उनकी देन कुछ पुराने भवनों के अतिरिक्त और कुछ नहीं और इस नाते उनकी विजय भारत के इतिहास में सचमुच एक घटना मात्र ही है। परन्तु ऐसी धारणा बनाना गलत है कि अरब विजय इस्लाम के इतिहास में एक घटना मात्र थी क्योंकि इस विषय का प्रभाव मुस्लिम संस्कृति पर बहुत गहरा और दूरवर्ती सिद्ध हुआ ।
अरब विजय कोई स्थायी प्रभाव क्यों न डाल सकी?
अरब विजय भारत के इतिहास पर कोई पक्का प्रभाव नहीं डाल सकी उसके पीछे अनेक कारण थे।
(i) अरबों का गलत दिशा से प्रवेश:
सबसे पहले यह बात है कि अरब लोग एक गलत दिशा से भारत में घुसे। सिन्ध कोई धनी प्रान्त नहीं था। सारी भूमि बन्जर थी और उस देश के साधन सीमित थे। अतः सिन्ध भारत की विजय के लिए अच्छा आधार न बन सका। बाद में आने वाले तुर्कों की तरह यदि अरब भी पंजाब की ओर से भारत में प्रवेश करते तो वे सारे भारत को जीते बिना सन्तुष्ट न होते ।
(ii) मुहम्मद बिन कासिम की अचानक मृत्यु :
मुहम्मद बिन कासिम को जो अरब विजय का वीर नायक था खलीफा की आज्ञा से मार डाला गया और उनकी मृत्यु ने भारत में अरबों के अधिक फैलाव पर व्यावहारिक रूप से पूरी तरह रोक लगा दी। कासिम ने अपने सरतोड़ प्रयत्न, उत्साह और योजनाओं से सारे सिन्ध और मुलतान को जीत लिया था और अब कन्नौज को जीतने की तैयारी कर रहा था जब अचानक उसे सता सता कर मार डाला गया। यदि वह कुछ वर्ष और जीवित रह जाता तो वह अरब विजय को भारत के दूसरे भागों तक फैला देता। अत: उसकी अचानक दुःखान्त मृत्यु इस बात के लिए बहुत महत्व रखती है कि अरब विजय कोई स्थायी प्रभाव न डाल सकी।
(iii) खलीफों के परस्पर झगड़े
अरब आक्रमणों के पीछे खलीफे ही एक बड़ी शक्ति थे। सिन्ध की विजय अभी पूर्ण भी न हो पाई थी, जबकि खलीफाओं में झगड़ा खड़ा हो गया। जिसके परिणामस्वरूप अबासीद खलीफाओं ने उमैयदों को उल्टा फेंका। उमैयदों ने ही सिन्ध की चढ़ाई आरम्भ की थी परन्तु अबासीद अत्यन्त विमुख रहे। उन्होंने इस्लाम की हर मौलिक तथा जीवनदायक बात में सम्पर्क खो दिया और अपना समय भोग-विलास में नष्ट करते रहे। उनके नैतिक पतन ने अरबों को हर महान सैनिक पराक्रम के अयोग्य बना दिया।
(iv) तुर्कों का उदय :
जिस बात ने अरबों की महत्वाकांक्षा को सचमुच एक बड़ा झटका दिया वह थी तुर्कों का उदय । तुर्की ने अरब देशों में अपनी प्रभुता स्थापित कर ली और खलीफा की शक्ति को घातक चोट लगाई। इस प्रकार भारत में आए हुए अरब अपनी शक्ति का स्रोत और सहारा ही खो बैठे।
(D) शक्तिशाली राजपूत राज्य :
भारत के अन्दर शक्तिशाली स्वतन्त्र राजपूत राज्यों की काफी संख्या थी। राजपूतों की आपसी लड़ाई होते हुए भी ऐसी सैनिक जाति को हराना कोई सुगम काम नहीं था। लेनपूल का कहना है कि भारत में अरबों की असफलता का एक बड़ा कारण यह भी था।
(vi) भारतीयों की जात-पात व्यवस्था :
ऐलफिन्स्टन का कहना है कि हिन्दुओं के शक्तिशाली पुरोहितवाद और उनके जात-पात सम्बन्धी दृढ़ नियमों ने अरबों को भारतीय सभ्यता पर कोई स्थायी प्रभाव डालने नहीं दिया । जात-पात के इन दृढ़ नियमों के कारण हिन्दू लोग विदेशियों से कोई सामाजिक सम्बन्ध बनाने से टलते रहे क्योंकि वे उन्हें गन्दे और बर्बर जाति का समझते थे।
(vii) हिन्दुओं की श्रेष्ठ संस्कृति :
अन्तिम बात यह है कि हिन्दुओं की संस्कृति विदेशियों की संस्कृति से कहीं श्रेष्ठ थी। हिन्दू लोग दर्शनशास्त्र, खगोलशास्त्र, गणित चिकित्साशास्त्र इत्यादि में बड़े निपुण थे। हिन्दी संगीतकार. राज और चित्रकार भी अरब कलाकारों से कहीं अधिक कुशल थे। इन परिस्थितियों में भारतीय संस्कृति पर प्रभाव डालने के बजाय अरब संस्कृति स्वयं उससे प्रभावित हो गई।
अरब विजय का प्रभाव अथवा अरब विजय केवल एक उपकथा मात्र
(Effects of Arab conquest or Arab conquest an episode)
अरब विजय भारत के इतिहास में एक घटना मात्र थी क्योंकि इसका किसी भी क्षेत्र में कोई पक्का प्रभाव नहीं पड़ा।
(i) राजनैतिक क्षेत्र में :
अरबों ने भारत के केवल एक भाग सिन्ध को ही जीता। भारत के अन्य भाग राजपूतों के अधीन स्वतन्त्र बने रहे।
(ii) सामाजिक क्षेत्र में
हिन्दुओं के जाति पाँति को मानने के कारण अरब लोग भारतीय रिवाजों, परम्पराओं तथा संस्थाओं पर कोई प्रभाव न डाल सके।
(iii) धार्मिक क्षेत्र में
हिन्दुओं ने अपने धर्म को नहीं छोड़ा और इस्लाम की अपेक्षा मौत को पसन्द किया। फिर भी अरबों ने भारत में इस्लाम के बीज बो ही दिए।
(iv) आर्थिक क्षेत्र में
हिन्दुओं की भूमि अरबों ने हथिया ली परन्तु उनकी खेती-बाड़ी और व्यापार पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा।
(v) सांस्कृतिक क्षेत्र में :
भारतीय संस्कृति की श्रेष्ठता से चुँधिया अरबों ने खगोल विद्या, चिकित्सा, गणित तथा चित्रकारी में भारतीयों से बहुत कुछ सीखा खलीफाओं ने बहुत से भारतीय विद्वानों को बुलाया कि अरबों को भारतीय संस्कृति के पाठ पढ़ाएँ।
अतः अरब विजय भारत के इतिहास में तो एक घटना मात्र थी पर इस्लाम के इतिहास में नहीं।
अरबों के तुच्छ उत्तरदान के कारण (Causes of Arab's poor legacy in India)
(i) अरब गलत दिशा से आये अरब लोग पंजाब की अपेक्षा सिन्ध की मरुभूमि से होकर आये।
(ii) मुहम्मद-बिन-कासिम की अचानक मृत्यु : मुहम्मद जिसने सिन्ध और मुलतान को जीत लिया था और जो दूसरे प्रदेशों पर चढ़ाई की तैयारी कर रहा था खलीफा द्वारा सता - सता कर मार डाला गया।
(iii) खलीफों के झगड़े उमैयद और अबासीद खलीफों में लड़ाई हुई। पहलों की हार और दूसरों की जीत ने भारत में अरबों की बढ़ती हुई सैनिक प्रगति को भारी चोट लगाई।
(iv) तुर्कों का उदय : तुर्कों के उदय ने भी खलीफा और अरब शक्ति को बहुत धक्का लगाया।
(v) शक्तिशाली राजपूत राज्य : राजपूतों की बहादुर कौम को हराना और उनके राज्य को जीतना कोई आसान काम नहीं था।
(vi) भारतीयों की जाति-पाँति व्यवस्था : इस व्यवस्था के कारण भारतीय लोग विदेशियों के सम्पर्क में नहीं आए और इसलिए हमारी सभ्यता पर उनका प्रभाव पड़ना सम्भव ही नहीं था ।
(vii) हिन्दुओं की सांस्कृतिक श्रेष्ठता : भारतीय संस्कृति श्रेष्ठ होने के कारण अरबों ने भारतीयों को सिखाने के बजाय उनसे सीखा।