अध्ययन के समेकित क्षेत्र के रूप में सामाजिक विज्ञान: संदर्भ एवं सरोकार
अध्ययन के समेकित क्षेत्र के रूप में सामाजिक विज्ञान प्रस्तावना
प्रसिद्ध विद्वान
अरस्तु ने कहा था कि 'मनुष्य एक
सामाजिक प्राणी है।' इसका अर्थ यह है
कि मनुष्य अकेला नहीं रहता,
बल्कि एक समूह
बनाकर रहता है, जिसे समाज कहते
हैं। सामाजिक विज्ञान मानव के संदर्भ में सामाजिक क्रिया-कलापों का अध्ययन करता
है। इस भौतिकता के युग में न केवल हमारा सामाजिक जीवन, बल्कि समाज का
स्वरूप भी जटिल हो गया है,
जिसके कारण
सामाजिक वातावरण में तनाव एवं चिंताओं में वृद्धि हुई है। जिन्हें कम करने व दूर
करने के लिए विद्यार्थियों को उस सामाजिक संसार को समझना होगा, जिसमें वह
वास्तविक रूप से निवास करता है। छात्रों में यह सकारात्मक अभिवृत्ति विकसित के
संदर्भ में अमेरिकी राष्ट्रपति जॉन एफ. केनेडी के शब्दों में कहना चाहिए कि, ‘सर्वप्रथम तुम यह
सोचना एवं अपेक्षा करना छोड़ो कि समाज आपके लिए क्या कर सकता है, वरन् यह चिंतन
एवं मनन आरंभ करो, कि आप समाज के
लिए क्या कर सकते हो !' यहीं से
विद्यार्थियों में सहयोग उत्तरदायित्व एवं देशभक्ति की भावना आरंभ हो जाएगी। यह
कार्य सामाजिक विज्ञान के ज्ञान एवं बोध से किया जा सकता है। इसलिए छात्रों को अराजकता
एवं अन्याय के वातावरण को खत्म करने, शांतिपूर्ण व्यवस्था स्थापित करने एवं गुणात्मक जीवन की
दृष्टिकोण से समाजिक विज्ञान का अर्थ, प्रकृति, क्षेत्र, प्राकृतिक विज्ञान से भिन्नता एवं विशेषीकृत एवं
अंतरानुशासनिक ज्ञान में भेद आदि का ज्ञान होना अत्यावश्यक है। आइए, उपरोक्त प्रकरणों
की चर्चा करके सामाजिक विज्ञान के बारे में व्यापक बोध प्राप्त करें।
सामाजिक विज्ञान का अर्थ
आइए, सर्वप्रथम यह
जानते हैं, कि सामाजिक
विज्ञान से क्या आशय है? विभिन्न
समाजवैज्ञानिकों यथा- अगस्त काम्टे, मैक्स वेबर, दुर्खिम, कार्ल मार्क्स, इमैनुअल कांट आदि के विचारों का गहनता से अध्ययन करने पर ये
स्वत: प्रमाणित हो जाता है कि सामाजिक विज्ञान 'समाज का विज्ञान' है। सामाजिक विज्ञान न केवल मनुष्य के संबंधों
का तथ्यात्मक वर्णन करता है, बल्कि समाज का एक व्यापक चित्र प्रस्तुत करता है। सामाजिक
विज्ञान मनुष्य एवं उसके सामाजिक भौतिक वातावरण का अंतः क्रियात्मक विश्लेषण करता
है। जैसा कि आप जानते हैं कि मनुष्य अकेला पैदा हुआ, परवर्ती काल में उसने स्वयं को समाज के रूप में
संगठित किया। अतः सामाजिक विज्ञान उन सामाजिक एवं भौतिक कारकों का विश्लेषण करता
है, जिनके कारण
मनुष्य ने न केवल स्वयं को समाज के रूप में व्यवस्थित किया, बल्कि अपने
अधिकार समाज को सौंप दिये। सामाजिक विज्ञान मनुष्य के सामाजिक समूह के रूप में
मानव समाज के विभिन्न संगठनों, संस्थाओं की उत्पत्ति एवं क्रमबद्ध विकास के प्रति ज्ञान
एवं समझ विकसित करने वाला विषय है; जैसे परिवार, धर्म एवं वर्ग। यह न केवल मनुष्य के मनुष्य के साथ आपसी
संबंध वरन् संस्थाओं एवं संगठनों के संदर्भ में मानवीय संबंधों का अध्ययन करता है, साथ ही, किसी देश की
सीमाओं से परे मानव के सारे विश्व के साथ मानवीय संबंधों का अध्ययन भी करता है, जैसे - वसुधैव
कुटुम्बकम् मानव एवं विश्व के साथ अंतर्संबंधों का ज्वलंत उदाहरण है। सामाजिक
विज्ञान एक अनुशासन के रूप में हमारे जीवन से जुड़ा विषय है, जो अतीत में
मनुष्य के जीवन जीने के तरीके क्या थे या वर्तमान में क्या हैं? उसकी विभिन्न
आवश्यकताएं क्या थीं या क्या हैं? इन आवश्यकताओं की पूर्ति कैसे होती थी या होती है? आदि प्रश्नों को
सामाजिक परिस्थियों में विश्लेषित करता है। सामाजिक विज्ञान एक बहुमुखी विषय है, जो यह बताता है
कि इसकी विभिन्न शाखाएं आपस में मिलकर एक स्वतंत्र अनुशासन के रूप में स्थापित
करती हैं, जैसे - इतिहास, भूगोल, नागरिक शास्त्र, अर्थशास्त्र आदि।
जहां पर छात्रों को इतिहास से मानव के विकास एवं ऐतिहासिक घटनाओं का ज्ञान मिलता
है, अर्थव्यवस्था को
अर्थशास्त्र से समझा जाता है, पृथ्वी और पर्यावरण के मानव के साथ संबंधों को भूगोल के
द्वारा जाना जा सकता है तथा राजनीतिक व सामाजिक व्यवस्थाओं का ज्ञान नागरिकशास्त्र
से प्राप्त किया जा सकता है। सामाजिक विज्ञान ऊपर निर्दिष्ट विषयों के अतिरिक्त
अन्य अनुशासनों से भी अपनी विषय-वस्तु प्राप्त करता है । जिनकी विषय-वस्तु समय
सापेक्ष बदलती रहती हैं, परिणामत: सामाजिक
विज्ञान की विषय-वस्तु भी बदल जाती हैं। अत: सामाजिक विज्ञान एक गत्यात्मक विषय
है। यह समसामयिक मुद्दों एवं घटनाओं के सामाजिक पक्ष का अध्ययन- विश्लेषण करता है, जैसा कि आप जानते
हैं, हमारे देश में
वर्ष 2016 में बहुचर्चित
नोटबंदी की घटना घटी, अब सवाल यह है कि
इस नोटबंदी ने सामाजिक मुद्दों (भ्रष्टाचार एवं कालाधन) की रोकथाम में क्या योगदान
दिया? क्या इससे आम
जनता का सामाजिक जीवन प्रभावित हुआ? नोटबंदी ने रोजगार के नए अवसर पैदा किए अथवा उन्हें कम करने
में अपनी भूमिका निभाई? क्या नोटबंदी ने
विभिन्न उद्योगों के संदर्भ में उत्पादन, खपत एवं बिक्री को प्रभावित किया? सामाजिक विज्ञान
के अंतर्गत ऐसे सभी प्रश्नों का अध्ययन एवं विश्लेषण किया जाता है।
सामाजिक विज्ञान वह अनुशासन है, जो विद्यार्थियों में आसपास के वातावरण एवं पर्यावरण में हो रहे परिवर्तनों के बारे में संज्ञान एवं आलोचनात्मक समझ विकसित करता है, जैसे ग्लोबल वार्मिंग । इस अर्थ में सामाजिक विज्ञान यथार्थवादी विचारधारा पर केन्द्रित विषय है, यह मनुष्य के आपसी संबंध, संस्कृति, सहयोग, समस्याएं एवं मुद्दों पर विचार करता है। सामाजिक विज्ञान न केवल समसामयिक मुद्दों को उठाता है, बल्कि विभिन्न सामाजिक समस्याओं यथा - अशिक्षा, गरीबी, बेरोजगारी, प्रदूषण, बालश्रम, जातिवाद, क्षेत्रवाद, भाषावाद आदि के कारण एवं उनके प्रभावों का वैज्ञानिक विधियों से समाधान प्रस्तुत करता है।
सामाजिक विज्ञान
एक ऐसा विषय है जो वैश्विक युग में छात्रों में यह समझ विकसित करता है कि विश्व के
विभिन्न देश अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए एक-दूसरे पर निर्भर हैं। किसी एक
देश में घटी कोई आर्थिक, राजनैतिक, प्राकृतिक घटना
दूसरे देशों के नागरिकों के सामाजिक जीवन को भी प्रभावित करती है। जैसे - 2015-16 में अमेरिका में
आई आर्थिक मंदी ने न केवल अमेरिका में नौकरियों के अवसरों को कम किया बल्कि अन्य
देशों की अर्थव्यवस्थाओं को भी प्रभावित किया। आइए, इसे एक अन्य उदाहरण से समझें -जैसे हमारा देश
पेट्रोलियम पदार्थों के लिए ईरान, इराक, सउदी अरब एवं कुवैत आदि देशों पर निर्भर है, वहीं पर इन देशों
की जनता खाद्य पदार्थों की पूर्ति हेतु भारत पर निर्भर है।
आपने सामाजिक विज्ञान क्या है? प्रश्न के उत्तर के संदर्भ में सामाजिक विज्ञान को समझ लिया होगा कि सामाजिक विज्ञान का केन्द्र बिन्दु मनुष्य एवं समाज ही है । सारांशतः जो विज्ञान विभिन्न मुद्दों, विषयों एवं घटनाओं की व्याख्या समाज व मनुष्य को केन्द्र में रखकर करता है, सामाजिक विज्ञान कहलाता है।
सामाजिक विज्ञान की प्रकृति
• सामाजिक विज्ञान
समाज का अध्ययन है, इसका अध्ययन समाज
के व्यक्ति, समाज की भलाई एवं
इसे उन्नतशील बनाने के लिए करते हैं। क्योंकि ये विद्यार्थियों को सामाजिक संरचना, प्रथा, संस्कृति, मानव संबंध व
सामाजिक बुराइयों के संबंध में आलोचनात्मक समझ पैदा करता है। ताकि छात्र स्वयं को
बदलती हुई परिस्थियों में समायोजित कर सकें।
• सामाजिक विज्ञान
की प्रकृति अंतःविषयक है। ये अपनी विषय-वस्तु को हमारे जीवन से जुड़े अन्य विषयों
यथा – इतिहास, भूगोल, अर्थशास्त्र व
नागरिक शास्त्र से ग्रहण करता है। एक संतुलित एवं समायोजित जीवन जीने के लिए इन
विषयों का ज्ञान होना बहुत आवश्यक है। अत: सामाजिक विज्ञान अंतःविषयक होते हुए भी
दूसरे विषयों यथा - प्राकृतिक विज्ञान से अलग पहचान रखता है।
• सामाजिक विज्ञान
हमें सामाजिक समस्याओं एवं बुराइयों से परिचित करता है कि इनके क्या दुष्परिणाम
होंगे, इनको दूर कैसे
किया जा सकता है आदि की प्रक्रिया एवं प्रविधि का ज्ञ सामाजिक विज्ञान के द्वारा
होता है। यथा - जनसंख्या वृद्धि व भ्रष्टाचार को कैसे नियंत्रित किया जाए, इसका अध्ययन
सामाजिक विज्ञान का विषय है।
• सामाजिक विज्ञान
की प्रकृति मानव कल्याण से संबंधित है, क्योंकि सामाजिक विज्ञान में सामाजिक सुरक्षा, स्वास्थ्य, मृत्युदर गहनता
से अध्ययन किया जाता है। को घटाना व जीवन- प्रत्याशा को बढ़ाना आदि मुद्दों का
• सामाजिक विज्ञान
छात्रों के व्यक्तित्व का विकास करता है, क्योंकि सामाजिक विज्ञान की समझ से छात्रों में नैतिकता, सत्यवादिता, सकारात्मक
आवृत्ति आदि का विकास होता है।
• सामाजिक विज्ञान
एक गत्यात्मक विषय क्योंकि यह मानव के सामाजिक संबंधों से जुड़ा विषय है, रोज नित्य नई
प्रौद्योगिकी / तकनीकी के विकास के कारण मानव संबंधों, सामाजिक संरचना
एवं संस्कृति में परिवर्तन होता रहता है, जिसके कारण सामाजिक विज्ञान की विषय-वस्तु में भी परिवर्तन
होता रहता है। यथा - पुराने जमाने में मानवीय संबंधों में आत्मीयता होती थी, क्योंकि मनुष्य
अपनी आवश्यकताओं के लिए एक-दूसरे पर निर्भर था। लेकिन तकनीकी के विकास के कारण
मानव जीवन में स्वतंत्रता आई है, यही कारण है कि शहरों में एक पड़ोसी दूसरे पड़ोसी को नहीं
जानता है। अतः सामाजिक विज्ञान एक गत्यात्मक विषय है।
• सामाजिक विज्ञान
समूहों, वर्गों, संगठनों व मानव
के संस्थाओं के साथ अंतर्संबंधों का अध्ययन, वर्णन, व्याख्या एवं विश्लेषण करता है, जिससे हम
एक-दूसरे की स्वतंत्रता व आपसी निर्भरता के बारे में ज्ञान प्राप्त करते हैं।
• सामाजिक विज्ञान
का दृष्टिकोण एक उपयोगितावादी दृष्टिकोण है, क्योंकि ये बताता है कि हमारे जीवन में समाज, मीडिया, सरकार, परिवार, विद्यालय, राज्य, गैर-सरकारी संगठन, संस्था, समितियां एवं
प्रजातंत्र आदि की क्या उपयोगिता है, यही कारण है कि उपयोगी वस्तुओं को समाज ग्रहण कर लेता है
एवं अनुपयोगी वस्तुओं का त्याग कर देता है।
• सामाजिक विज्ञान
की प्रकृति संस्कृति, मूल्यों, प्रथाओं व
परंपराओं को सुरक्षित, संरक्षित व एक
पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी को हस्तांतरित करने वाली है जैसे - हमारी संस्कृति अनेकता
में एकता की है, जिसका अध्ययन न
केवल आप हम सब कर रहे हैं बल्कि भविष्य की पीढ़ी भी करेगी। अत: हस्तांतरण स्वयं हो
जाएगा । यथा - विभिन्न समाजों में विभिन्न संस्कारों को अलग-अलग तरीके से संपादित
किया जाता है, हम उन्हें देखकर
सीखते और व्यवहार करते हैं।
• सामाजिक विज्ञान
सैद्धांतिक जीवन एवं व्यवहारिक जीवन में कैसे समायोजन स्थापित किया जाए आदि की
शिक्षा प्रदान करता है।
• सामाजिक विज्ञान
एक यथार्थवादी विषय है जो कि सामाजिक संबंधों व घटनाओं आदि के संबंधों में
यथार्थता से अवगत कराता है। उदाहरण के लिए जब भी मार्केट में किसी चीज की माँग की
अपेक्षा उसका उत्पादन कम होता है तो उस वस्तु के मूल्य में अचानक उछाल आ जाता है।
• सामाजिक विज्ञान
विभिन्न प्रकार की सरकारों व राजनीतिक व्यवस्थाओं का वर्णन एवं व्याख्या करता है जिससे
ऐसे छात्र विकसित करने में मदद मिलती है जो भविष्य में समाज व देश का नेतृत्व कर
सकें।
• सामाजिक विज्ञान
मीडिया एवं प्रेस आदि का हमारे सामाजिक जीवन में क्या महत्व है आदि के संदर्भ में
व्यवहारिक ज्ञान प्रदान करता है।
• सामाजिक विज्ञान
का केन्द्रबिन्दु छात्रों का सामाजीकरण करना है। • सामाजिक विज्ञान न केवल विज्ञान है वरन् कला भी
है।
सामाजिक विज्ञान का क्षेत्र
• सामाजिक विज्ञान
का क्षेत्र उतना ही विस्तृत है, जितना कि मानव इतिहास एवं मानव जीवन । सामाजिक विज्ञान के
क्षेत्र में मानव संबंध, संस्थान एवं मानव
व्यवहार सम्मिलित हैं।
• सामाजिक विज्ञान
में मानव समाज का अध्ययन किया जाता है। जैसा कि आप जानते हैं, मनुष्य अकेला
नहीं रहता, बल्कि एक समूह
बनाकर रहता है, जिसे मानव समाज
कहते हैं। सामाजिक विज्ञान में इस मानव समाज के विभिन्न पक्षों का अध्ययन किया
जाता है जैसे - मानव ने समाज क्यों बनाया, इसका स्वरूप क्या था, इसके उद्देश्य एवं आवश्यकताएं क्या थी, कैसे मानव समाज
का मूल स्वरूप समय के साथ बदलता गया? आदि ।
• सामाजिक विज्ञान
में मानव संबंधों का अध्ययन किया जाता है जैसे मनुष्य का मनुष्य के साथ एवं मनुष्य
का अन्य संस्थाओं के साथ संबंध, यथा-समाज, परिवार व विद्यालय आदि संस्थाओं के साथ मनुष्य का किस
प्रकार का संबंध था, वर्तमान में किस
प्रकार का है और भविष्य में कैसा रहेगा? ये संस्थाएं किस प्रकार से मानव संबंधों को प्रभावित करती
हैं एवं किस प्रकार से मानव जीवन को गुणात्मक बनाने में योगदान देती हैं आदि
प्रश्न, मानव समाज में
मानव संबंधों के अध्ययन के लिए आवश्यक हैं। अतः सामाजिक विज्ञान मानव संबंधों के
पक्ष-विपक्ष दोनों पहलुओं का अध्ययन करता है।
• सामाजिक विज्ञान
के क्षेत्र में विभिन्न प्रकार की संस्कृतियों का अध्ययन सम्मिलित है। ये किसी भी
समाज की सांस्कृतिक संपदा को सुरक्षित करने, उन्नत बनाने एवं इस सांस्कृतिक संपदा को एक पीढ़ी से दूसरी
पीढ़ी को हस्तांतरित करने का सर्वोत्तम माध्यम है। सामाजिक विज्ञान न केवल भारत की
विभिन्न संस्कृतियों का समझ पैदा कर छात्रों में सांस्कृतिक स्तर पर अनेकता में
एकता के सारतत्व की समझ बनाता है, बल्कि विश्व की अन्य देशों की संस्कृतियों का अध्ययन करने
का अवसर भी प्रदान करता है जिससे छात्रों में सार्वभौमिक संस्कृति सम्मान आदि
सामाजिक गुण निर्मित होते हैं।
• सामाजिक विज्ञान
में व्यक्ति एवं भौतिक वातावरण के बीच अंतःसंबंधों का अध्ययन किया जाता है कि किस
प्रकार से व्यक्ति एवं वातावरण एक-दूसरे को प्रभावित करते हैं। जैसा कि आप जानते
हैं, आज के भौतिक युग
में मनुष्य की आवश्यकताओं में भारी वृद्धि हुई है, जिसके कारण प्राकृतिक संसाधनों एवं हानिकारक
गैसों का अत्यधिक उत्सर्जन हो रहा है, फलत: ग्लोबल वार्मिंग का खतरा पैदा हो गया है, इससे न केवल मौसम
एवं वातावरण में असंतुलन पैदा हो रहा है, बल्कि मनुष्य को अनेक स्वास्थ्य संबंधी खतरे उत्पन्न होने
की संभावना है। उदाहरण के तौर पर ग्लोबल वार्मिंग से मनुष्य की त्वचा पर नकारात्मक
प्रभाव पड़ेगा।
• सामाजिक विज्ञान
के क्षेत्र में मानव का अन्य संस्थाओं के साथ संबंध भी जुड़ा है, जैसा कि हमारे
जीवन से अनेक संस्थाएं प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से जुड़ी रहती हैं यथा परिवार, धर्म, समुदाय, समाज एवं सरकार
आदि । सामाजिक विज्ञान में उपरोक्त संस्थाओं के मनुष्य के साथ अंतःक्रियात्मक
संबंधों का यथार्थ वर्णन किया जाता है। जिससे पक्ष-विपक्ष दोनों उजागर होते हैं।
जैसे धर्म किस प्रकार से मानव निर्माण में सहायक है, वहीं पर धार्मिक कट्टरता किस प्रकार से विश्व 'समुदाय के लिए
हानिकारक है।
• सामाजिक विज्ञान
के क्षेत्र में भूतकालीन घटनाओं का अध्ययन एवं विश्लेषण सम्मिलित हैं, यथा- वे कौन-कौन
से कारक थे, जिनके कारण भारत
गुलाम बना, किन शासकों ने
भारत को लूटा, अंग्रेजों ने
भारत पर कैसे लंबे समय तक शासन किया, स्वतंत्रता आंदोलन की ज्वाला कैसे और कहां से उठी, स्वतंतत्रा
आंदोलनों का नेतृत्व किन-किन स्वतंत्रता सेनानियों ने किया, उन आंदोलनों की
प्रकृति क्या थी आदि भूतकालीन घटनाएं हमें वर्तमान एवं भविष्य में सामंजस्य
स्थापित करने में मदद करती हैं।
• सामाजिक विज्ञान
के क्षेत्र में व्यक्ति एवं अर्थव्यवस्था के अंतःसंबंधों का अध्ययन किया जाता है।
जैसा कि आप जानते हैं कि धन गुणात्मक जीवन जीने के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका
अदा करता है। यदि सामाजिक परिवेश में कानून का राज एवं सुरक्षा होगी तो विदेशी
निवेश के बढ़ने संभावना होगी, जो न केवल समाज के लोगों के लिए रोजगार के अवसर पैदा करेगा, बल्कि देश की
अर्थव्यवस्था को मजबूत करेगा, जबकि असुरक्षा एवं गुंडागर्दी का माहौल न केवल विदेशी निवेश
के घटने की आशंका में वृद्धि करेगा, बल्कि बेरोजगारी की समस्या को बढ़ाने में भी मदद करेगा। इस
सदर्भ में चीन का उदाहरण लिया जा सकता है, जिसने अपने देश के नागरिकों को निपुण एवं दक्ष बनाया, जिसके कारण उसने
भारत के बाजार को प्रभावित किया एवं अपनी अर्थव्यवस्था को मजबूत किया। अतः अच्छे
एवं दक्ष नागरिक किसी भी देश की अर्थव्यवस्था को मजबूत करते हैं। यही समाज एवं
अर्थव्यवस्था में अंतःसंबंध को दर्शाता है।
• सामाजिक विज्ञान
के क्षेत्र में सम-सामयिक घटनाओं का अध्ययन भी सम्मिलित है। सम- सामयिक घटनाएं न
केवल विद्यार्थियों में तार्किक चिंतन करने में योग देती हैं, वरन् एक स्वतंत्र
सोच का भी विकास करती हैं। विद्यार्थी विश्व के विभिन्न देशों में हो रहे राजनैतिक, आर्थिक, सामाजिक, भौगोलिक
परिवर्तनों से अवगत होते रहते हैं। इससे उन्हें बदलती हुई परिस्थितियों में स्वयं
को मानसिक रूप से समायोजित करने में मदद मिलती है। यथा – यूरोप और एशिया
के विभिन्न देशों के मध्य वर्तमान संबंधों का अध्ययन, इन देशों के
अंतरराष्ट्रीय संबंधों की स्थिति का मूल्यांकन करने में सहायक है।
• सामाजिक विज्ञान के माध्यम से न केवल राष्ट्रीय बल्कि अंतरराष्ट्रीय समझ के विकास का अध्ययन किया जा सकता है । यथा - छात्रों में विभिन्न देशों की संस्कृतियों के अध्ययन से अनेकता में एकता की समझ पैदा होती है। सामाजिक विज्ञान छात्रों में यह दृष्टिकोण विकसित करता है कि हम सब न केवल अपने देश के नागरिक हैं, बल्कि विश्व समुदाय के भी नागरिक हैं, ताकि छात्र किसी वैश्विक घटना का वस्तुनिष्ठ एवं समालोचनात्मक मूल्यांकन करके सही निष्कर्ष पर पहुंच सकें।
• सामाजिक विज्ञान
में विभिन्न प्रकार की ललित कलाओं का अध्ययन सम्मिलत है। यथा - चित्रकारी, पच्चीकारी, मिट्टी के
पात्रों का निर्माण एवं मूर्ति निर्माण आदि। ललित कलाओं का अध्ययन न केवल छात्रों
का संवेगात्मक, नैतिक, मानसिक और
सौंदर्यात्मक विकास करता है, बल्कि सृजनात्मक क्षमताओं के बढ़ाने में भी सहायक है।
• सामाजिक विज्ञान
के क्षेत्र में हमारे जीवन पर पड़ने वाले प्रौद्योगिकीय प्रभाव भी सम्मिलित हैं।
जैसा कि आप जानते हैं कि इंटरनेट एवं मोबाइल ने हमारे सामाजिक एवं पारिवारिक
संबंधों को बदला है।
• यद्यपि सामाजिक विज्ञान
एवं प्राकृतिक विज्ञान दोनों अलग-अलग क्षेत्र हैं, लेकिन सामाजिक विज्ञान के क्षेत्र में इस बात
का अध्ययन किया जाता है कि दोनों किस प्रकार से एक-दूसरे पर आश्रित हैं। सामाजिक
विज्ञान के क्षेत्र में प्राकृतिक विज्ञानों के कार्यात्मक पक्ष का अध्ययन किया जाता
है। वहीं पर भौतिक विज्ञान,
रसायन विज्ञान, जन्तु विज्ञान, वनस्पति विज्ञान
एवं शरीरक्रिया विज्ञान आदि का ज्ञान किस प्रकार से हमारे सामाजिक जीवन के लिए
लाभकारी है, आदि का अध्ययन
किया जाता है। जैसे- रसायन विज्ञान से निर्मित विभिन्न प्रकार की औषधियों से समाज
के लोगों के द्वारा स्वास्थ्य लाभ लेना।
उपरोक्त विश्लेषण एवं विचार-विमर्श से आप समझ गए होंगे कि सामाजिक विज्ञान को किसी प्रकार की सीमा में नहीं बांधना मुश्किल है। इसका क्षेत्र असीमित है। समाजिक विज्ञान के क्षेत्र में एक विस्तृत श्रृंखला समाहित है। क्योंकि इसकी विषय वस्तु न केवल सामाजिक विज्ञान के विषयों बल्कि भौतिक विज्ञान के विषयों से भी निर्धारित होती है। वह प्रत्येक क्षेत्र जो हमारे सामाजिक जीवन से संबंधित है, सामाजिक विज्ञान के क्षेत्र में समाहित हैं।