सामाजिक अध्ययन से अभिप्राय शिक्षण के उद्देश्य
सामाजिक अध्ययन से अभिप्राय
सामाजिक अध्ययन से अभिप्राय ऐसे विषय से है जो मानवीय संबंधों की जानकारी प्रदान करता है। सामाजिक अध्ययन का जन्म अमेरिका में हुआ। इसमें भूगोल, इतिहास, राजनीति शास्त्र तथा अर्थशास्त्र का समावेश था। 1911 में कमेटी ऑफ टेन ने इसे समाज शास्त्र से जोड़ कर सामाजिक अध्ययन बना दिया। सामाजिक अध्ययन की धारणा को स्पष्ट करने के लिए कई विद्वानों ने इसको अलग अलग परिभाषित किया है:
जे० एफ० फोरेस्टर के 'अनुसार सामाजिक अध्ययन
" सामाजिक अध्ययन समाज का अध्ययन है और इसका प्रमुख उद्देश्य विद्यार्थियों को उस संसार को समझने में सहायता प्रदान करना है जिसमें उन्हीं रहना है ताकि वे उसके उत्तरदायी सदस्य बन सकें। इसका ध्येय विवेचनात्मक चिंतन और सामाजिक परिवर्तन की तत्परता को प्रोत्साहित करना है, सामान्य कल्याण के लिए कार्य करने की आदत को विकसित करना, दूसरी संस्कृतियों के प्रति सराहना तथा यह दृस्टिकोण रखना की सभी मानव तथा राष्ट्र एक दुसरे पर आश्रित हैं। ""
शैक्षिक अनुसंधान विश्वकोष के अनुसार सामाजिक अध्ययन
" सामाजिक अध्ययन वह अध्ययन है जो हर मानव के रहन सहन के ढंग, उसकी आवश्यकताओं तथा उन्हें पूरा करने से सम्बंधित विभिन्न क्रियाकलापों और उसके द्वारा विकसित संस्थाओं के बारे में ज्ञान प्रदान करता है"।
सामाजिक अध्ययन शिक्षण के उद्देश्य :-
a. उत्तम नागरिकता के गुणों का विकास
b. सामाजिकता के गुणों का विकास
c. बौद्धिक और मानसिक शक्तियों का विकास
d. नैतिकता और सदाचरण के गुणों का विकास
e. व्यक्तिव के सर्वांगीण विकास में सहायक
f. सामाजिक परिवर्तन लाने में सहायक
वर्तमान समय में कुल ज्ञान परिदृश्य में सामाजिक अध्ययन का स्थान
आज सामाजिक विज्ञान विषय देश भर के स्कूलों में किसी न किसी रूप में पढ़ाए जा रहे हैं। पहले आम तौर पर ऐसी स्थिति नहीं थी। आजादी के पहले समाजशास्त्र, राजनीति विज्ञान और यहाँ तक कि अर्थशास्त्र की शिक्षा भी मुख्य रूप से विश्वविद्यालयों व महाविद्यालयों तक सीमित थी। आजादी के बाद सामाजिक विज्ञान के विषयों की शिक्षा में निरन्तर विस्तार हुआ तथा जल्दी ही इन्हें स्कूलों में पढ़ाए जाने की माँग बढ़ने लगी। अर्थव्यवस्था, राजनीति और समाज किस तरह काम करते हैं, इसके बारे में सामान्य जानकारी होने से विद्यार्थियों को उनकी आगे की जिन्दगी में यह समझने में मदद मिलेगी कि सार्वजनिक जीवन में नीतियों की क्या भूमिका होती है। यह उन्हें इस बारे में एक शिक्षित दृष्टिकोण बनाने का आधार • प्रदान कर सकता है कि कुछ खास नीतियाँ ही क्यों अपनाई जाती हैं और अन्य क्यों नहीं। साथ ही अपनाई जाने वाली नीतियों में से कुछ ही क्यों सफल होती हैं और बाकी क्यों नहीं।
सामाजिक विज्ञान का ज्यादा महत्वपूर्ण योगदान नीति-निर्धारण के लिए प्रशिक्षित करने में नहीं है बल्कि शिक्षित व समझदार नागरिक तैयार करने में है। लोकतंत्र के अच्छे संचालन के लिए शिक्षित नागरिक वर्ग का होना अपरिहार्य है। कोई व्यक्ति अच्छे नागरिक होने के गुण अनायास हवा में से नहीं पकड़ता, उन्हें हासिल करने और बढ़ावा देने के लिए एक खास प्रकार की शिक्षा की जरूरत होती है। एक अच्छा नागरिक होने के लिए सिर्फ भौतिक व जैविक क्रियाकलापों का जानकार होना ही काफी नहीं होता, अच्छे नागरिक को उस सामाजिक संसार के बारे में भी समझ होना जरूरी है जिसका वह हिस्सा है। सामाजिक विज्ञान मानव समाज का अध्ययन करने वाली शैक्षिक विधा है। यह प्राकृतिक विज्ञानों के अतिरिक्त अन्य विषयों का एक समूह है। इन विषयों की अपनी अलग-अलग सीमाएँ हैं I परन्तु हमें इन सीमाओं को खोलना है। जब तक हम सभी विषयों के आपसी सम्बन्धों और जुड़ाव को बच्चों को अच्छे से नहीं समझाएँगे तब तक सामाजिक विज्ञान के शिक्षण का उद्देश्य पूरा नहीं हो सकता। अर्थव्यवस्था, राजनीति और समाज किस तरह काम करते हैं, इसके बारे में सामान्य जानकारी होने से विद्यार्थियों को उनकी आगे की जिन्दगी में यह समझने में मदद मिलेगी कि सार्वजनिक जीवन में नीतियों की क्या भूमिका होती है। जब हम इतिहास पढ़ाते हैं तो हमें बच्चों को यह समझाना होगा कि इतिहास केवल घटनाओं और तिथियों का विषय नहीं है बल्कि इसकी सहायता से संसार को और भी सुन्दर बनाया जा सकता है। सामाजिक विज्ञान का सबसे महत्वपूर्ण कार्य शिक्षित व समझदार नागरिक तैयार करना है। लोकतंत्र के अच्छे संचालन के लिए शिक्षित नागरिक वर्ग का होना आवश्यक है। अच्छे नागरिक के गुण हासिल करने और बढ़ावा देने के लिए एक खास प्रकार की शिक्षा की जरूरत होती है। एक अच्छा नागरिक बनने के लिए उसे उस सामाजिक संसार के बारे में भी समझना होगा जिसका वह हिस्सा है। इसके लिए यह जरूरी है कि उन्हें सामाजिक व प्राकृतिक दुनिया के बारे में स्पष्टता से और व्यवस्थित ढंग से सोचने के लिये प्रोत्साहित किया जाए। इसी कारण से सामाजिक अध्ययन का कुल ज्ञान परिदृश्य में एक महत्वपूर्ण स्थान है।