आकलन की
पारंपरिक मान्यता (अधिगम का आकलन एवं अधिगम के लिए आकलन ) Traditional
Notion of Assessment, Assessment of Learning vs
Assessment for Learning
आकलन की पारंपरिक मान्यता प्रस्तावना
शिक्षण अधिगम की प्रक्रिया में आकलन एक अभिन्न अंग है आकलन विद्यार्थी की क्षमताओं एवं सीमाओं की विस्तृत जानकारी प्रदान करता है उनकी सम्पूर्णता में समझने में सहायक है एवं सम्पूर्ण शिक्षण अधिगम की गुणवत्ता को उन्नत बनाने के लिए आवश्यक है। वर्तमान भारतीय शिक्षा व्यवस्था में सर्वाधिक जोर आकलन की प्रक्रिया में व्यापक परिवर्तन पर है। वस्तुतः व्यवहारवाद से प्रभावित वैश्विक शिक्षा व्यवस्था, रचनावादी शिक्षण की और उन्मुख हुई क्योंकि विभिन्न अनुसंधानों में रचनावादी शिक्षा व्यवस्था को विद्यार्थियों के सर्वांगीण विकास में ज्यादा प्रभावी पाया गया। शिक्षा तंत्र के इस परिवर्तन के कारण तदनुसार आकलन की सम्पूर्ण प्रक्रिया में परिवर्तन आवशयक हो गया। वर्तमान अधिगम का आकलन का संप्रत्यय अधिगम के लिए आकलन में परिवर्तित हो रहा है। भारत में राष्ट्रीय पाठ्यचर्चा की रूपरेखा (N.C.F.) 2005 ने विद्यार्थी के आकलन एवं वर्तमान परीक्षा व्यवस्था में व्यापक बदलाव की आवश्यकता पर बल दिया है। शिक्षण अधिगम एवं तदनुसार आकलन का उदेश्य भी एक सृजनात्मक विद्यार्थी जो अपने समाज एवं सांस्कृतिक मूल्यों के प्रति संवेदनशील हो, तैयार करना हो गया है राष्ट्रीय पाठ्यचर्चा की रूपरेखा 2005 ने जो अपेक्षित परिवर्तन सुझाये हैं: उनमे ज्ञान को स्कूल के बाहर के जीवन, विद्यार्थी के समाज एवं संस्कृति से जोड़ना, तोतारटंत ज्ञान प्रदान करने एवं पाठ्यचर्चा के पाठ्यपुस्तक पर केन्द्रित रहने के की बजाए विद्यार्थियों के समग्र विकास की ओर उन्मुख बनाना, परीक्षाओं को व्यापक एवं अधिक लचीला बनाना आदि प्रमुख हैं। इस इकाई का उद्देश्य शैक्षिक परिवर्तनों के इस दौर में चर्चित 'अधिगम का आकलन' एवं 'अधिगम के लिए आकलन' के संप्रत्यय, दोनों में अंतर आदि से परिचित कराना है।
आकलन: परिभाषा, अर्थ एवं विशेषताएं
मूलतः शब्द Assessment
की व्युत्पत्ति
लैटिन भाषा के शब्द 'ad sedere' (to sit beside) से मानी जाती है
जिसका अर्थ है ' पास में बैठना । वस्तुतः मध्यकालीन लैटिन समुदाय में जज के
सहायक का कार्य टैक्स निर्धारित करने के उद्देश्य से किसी की संपत्ति का अनुमान
लगाना होता था। बाद में इस शब्द का अर्थ परिवर्तित होकर किसी व्यक्ति विचार आदि के
बारे में निर्णय लेना' हो गया। सामान्य अर्थों में आकलन का अर्थ है
किसी व्यक्ति या समूह से सबंधित सूचना संग्रहण की प्रक्रिया से है ताकि व्यक्ति या
विशेष के सन्दर्भ में कोई निर्णय लिया जा सके।
शब्दकोष के
अनुसार आकलन का तात्पर्य किसी चीज की कीमत, वैल्यू, गुणवत्ता या
महत्व का निर्णय अथवा निर्धारण करना है (the act of judging or deciding
the amount, value, quality, or importance of something)
वालेस, लार्सन एवं
एल्क्सनीन, 1992, के अनुसार “आकलन का तात्पर्य
किसी व्यक्ति या समूह के बारे में सूचना संग्रहण, विश्लेषण एवं
उनका अर्थ निकालने की प्रक्रिया से है जिस से किसी व्यक्ति के बारे में
अनुदेशनात्मक, निर्देशनात्मक अथवा प्रशासनिक निर्णय लिये जा सकें। "
(Assessment refers to the process of gathering, analyzing and interpreting information in order to make instructional, administrative and/or guidance decisions about or for an individual (Wallace, Larsen and Elksnin, 1992))
आकलन का अर्थ
उदेश्यपूर्ण क्रियाओं द्वारा सूचना संग्रहण एवं व्यवस्थापन की प्रक्रिया से है
ताकि शिक्षण, अधिगम एवं विभिन्न व्यक्तियों के सन्दर्भ में उनका अर्थ
निकला जा सके और प्रायः पूर्व निर्धारित मानदंडों से उसकी तुलना की जा सके ।
Assessment
is the process of collecting and organising information from purposeful
activities (e.g., tests on performance or learning) with a view to drawing
inferences about teaching and learning, as well as about persons, often making
comparisons against established criteria. (Lampriyanou & Athanasou, 2009)
यदि हम आकलन की उपरोक्त परिभाषा का विश्लेषण करें तो यह पाते हैं कि आकलन के मुख्यतः पांच पहलू हैं:
• उद्देश्य पूर्ण कार्य (Purposeful Activity)
• सूचना संग्रहण (Collection of Information)
• सूचनाओं का विश्लेषण (Analysis of Information)
• सूचना का अर्थ निकलना (Interpretation of Information)
• अनुदेशनात्मक, प्रशासनिक अथवा
निर्देशनात्मक निर्णय ( Instructional, Administrative or Guidance related
decision making)
आकलन के उद्देश्य (Purpose of Assessment)
a. शिक्षण पूर्व उद्देश्य:
- अनुदेशन से विद्यार्थी के पूर्व ज्ञान को जानने के लिए
- अधिगम की कठिनाई अथवा अग्रिम ज्ञान को जानने के लिए
- अनुदेशन की योजना बनाने के लिए
b. शिक्षण के दौरान के उद्देश्य
- अनुदेशन की प्रभाविता को जानने के लिए
- अधिगम के दौरान विद्यार्थी की समस्याओं को जानने के लिए
- अनुदेशन के बारे मे प्रतिपुष्टि के लिए
- नैदानिक अनुदेशन के लिए
c. शिक्षण के उपरांत के उद्देश्य
- शैक्षिक संप्राप्ति के प्रमाणन के लिए
- विद्यार्थियों के शैक्षिक संप्राप्ति के आधार प्र ग्रेड प्रदान करने के लिए
- सम्पूर्ण शिक्षण की प्रभाविता जानने के लिए
- शिक्षक के स्वमूल्यांकन के लिए
आकलन एवं मूल्यांकन में अंतर
आकलन की आवश्यकता एवं महत्व (Need and Importance of Assessment)
आकलन शिक्षा
प्रक्रिया का एक महत्वपूर्ण अंग हैं। आकलन एक शिक्षक को अपने शिक्षण के उद्देश्य
एवं एवं उनके सन्दर्भ में विद्यार्थियों की संप्राप्ति को जानने में, अधिगम में
विद्यार्थी को हो रही कठिनाई और उसके कारणों का विश्लेषण करने में एवं तदनुसार
नैदानिक शिक्षण की योजना बनाने में मदद करता है। शिक्षण अधिगम प्रक्रिया में आकलन
का महत्व निम्नांकित है:
i. आकलन विद्यार्थियों में आत्म समझ विकसित करने एवं अपनी क्षमताओं को अच्छे से समझने में सहायक है-
आकलन विद्यार्थी की क्षमताओं एवं सीमाओं की विस्तृत जानकारी प्रदान करता
है जो विद्यार्थियों में आत्म समझ भी विकसित करता है और साथ ही शिक्षक द्वारा दी
गयी प्रतिपुष्टि उन्हें अपने आप को परिमार्जित ( Improve ) करने में सहायता
करता है। साथ ही यह विद्यार्थियों को उनकी रूचि को समझने एवं तदनुसार आगे के
अध्ययन के लिए भी तैयार करता है। अतः यह कहा जा सकता है कि आकलन विद्यार्थी में
स्व-समझ विकसित करता है और उनकी उन्नति में सहायक होता है।
ii. आकलन शिक्षक को विद्यार्थियों को उनकी सम्पूर्णता में समझने में सहायता करता है-
आकलन विद्यार्थियों को उनकी सम्पूर्णता में समझने में सहायक है क्योंकि आकलन शिक्षक को विद्यार्थियों के विभिन्न पक्षों के निरीक्षण में सहायता करता है और विद्यार्थी के व्यक्तित्व की सम्पूर्ण जानकारी प्रदान करता है। आकलन के द्वारा शिक्षक को विद्यार्थियों की शक्तियों व सीमाओं सम्पूर्ण जानकारी प्राप्त हो सकती है। प्रभावी शिक्षण हेतु विद्यार्थी के सभी पहलुओं की जानकारी शिक्षक के लिए आवश्यक है क्योंकि जब तक वह बालक की क्षमताओं एवं सीमाओं को नहीं जानेगा, वह विद्यार्थी को उपयुक्त मार्गदर्शन नहीं दे सकता है और न ही उसकी समस्याओं का समाधान कर है। इस कार्य में आकलन की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है क्योंकि शिक्षक विभिन्न प्रकार के उपकरणों एवं प्रविधियों की सहायता से विद्यार्थी के सम्बन्ध में सूचनाएं प्राप्त करने में सहायक है। ताकि शिक्षण अधिगम प्रभावी हो सके।
iii आकलन विद्यार्थियों के लिए अभिप्रेरणा का काम करता है-
एक व्यापक आकलन विद्यार्थियों के लिए
अभिप्रेरणा का काम करता है। जब विद्यार्थियों को उनकी संप्राप्ति की व्यापक
जानकारी दी जाती है, उन्हें उनके मजबूत विन्दुओं एवं उन विन्दुओं
जहाँ पर उन्हें अधिक मेहनत की आवश्यकता है इसकी जानकारी हो जाती है तब वे अपने
प्रदर्शन में सुधार के लिए सही दिशा में श्रम कर पाते हैं। साथ ही उनके मजबूत
पक्षों की जानकारी उनका आत्मविश्वास भी बढाती है। उदाहरणार्थ यदि कोई विद्यार्थी
छात्र के परीक्षा में कक्षा में उच्च स्थान प्राप्त करता है तब उसका आत्मविश्वास
बढ़ता है और आगे की कक्षाओं में भी वह कक्षा में अव्वल आने का प्रयास करता है।
iv. अधिगम उद्देश्यों की प्राप्ति की जानकारी एवं उनके मूल्यांकन में
शिक्षण प्रक्रिया में शिक्षक सर्वप्रथम अपने शिक्षण के निर्धारित करता है और फिर इन्ही उद्देश्यों के आधार पर वह छात्रों को शिक्षित करता है। आकलन एक शिक्षक को अवसर प्रदान करता है कि वह जान सके कि विद्यार्थियों में वांछित व्यवहार परिवर्तन हुए हैं या नहीं अर्थात् शिक्षण के लिए अपने जिन उदेश्यों का निर्धारण किया गया था उन उद्देश्यों की प्राप्ति हो रही है या नहीं। शिक्षण अधिगम की प्रक्रिया सही दिशा में आगे जा रही है या नहीं? यदि नहीं तो इसके कारण क्या हैं और उन्हें दूर कैसे किया जा सकता है? या फिर कही शिक्षण उदेश्यों की समीक्षा करने की आवश्यकता तो नहीं है? इस प्रकार आकलन के द्वारा एक ओर तो शिक्षक विद्यार्थियों के वांछित दिशा में अधिगम की जानकारी तो प्राप्त करता है ही यह अधिगम उदेश्यों केमूल्यांकन एवं आवश्यतानुसार परिवर्तन करने में भी मददगार है।
V. आकलन प्रभावी शिक्षण अधिगम के लिए उपयुक्त शिक्षण सामग्री एवं विधि के चयन में सहायक है-
उपरोक्त कार्यों के अलावा आकलन के आधार पर देखा जा सकता है कि अधिगम अनुभव के रूप में प्रयुक्त की गई विषय सामग्री कितनी उपयुक्त है अर्थात अधिगम सामग्री को करने के लिए प्रयुक्त शिक्षण विधियां विषय वस्तु की प्रकृति एवं विद्यार्थियों के स्तर के अनुकूल है अथवा नही | शिक्षण को सरल एवं प्रभावशाली बनाने की दृष्टि से उपयुक्त सहायक सामग्री का प्रयोग किया गया है अथवा नही ।
vi. सम्पूर्ण शिक्षण अधिगम की गुणवत्ता को उन्नत बनाने में
मूल्यांकन, शिक्षण की सफलता का अध्ययन करने के साथ-साथ उसमें सुधार करने में सहायता प्रदान करता है । मापन एवं मूल्यांकन के आधार पर शिक्षण विधियों को प्रभावशाली बनाने, सहायक सामग्री की उपयुक्तता जानने में सहायता मिलती है। शिक्षण कार्य को सुधारने एवं प्रभावी बनाने में भी सहायक है अर्था उपयुक्त आकलन सम्पूर्ण शिक्षण अधिगम की गुणवत्ता को सुधरने में भी सहायक है।
vii. छात्रों की रूचि, योग्यता एवं उनकी छुपी प्रतिभा का अध्ययन करने में आकलन सिर्फ -
शैक्षिक निष्पति का ही अध्ययन कने मे सहायक नहीं है बल्कि यह विद्यार्थियों की रूचि, अभिवृति, योग्यता एवं उनके अन्दर छुपी प्रतिभा को उजागर कर पाने भी सहायक है। आकलन की प्रक्रिया में विभिन्न उपकरणों की सहायता से विभिन्न परिस्थतियों में विद्यार्थी का व्यापक निरीक्षण एवं प्राप्त सूचनाओं का विश्लेषण विद्यार्थी की छपी हुई प्रतिभा को सामने लाने में, उसकी रूचि को समझने में, उसकी अभिक्षमता को समझने में अत्यंत सहायक है।
viii. नैदानिक शिक्षण की योजना बनाने में
प्रयेक विद्यार्थी की किसी विषय विशेष को समझने में कठिनाई के अकी आयाम एवं कई कारन हो सकते हैं जो एक दूसरे से भिन्न हो सकते हैं ऐसे में आकलन शिक्षक को विद्यार्थियों के अधिगम की समस्याओं को गहरे से समझने एवं तदनुसार नैदानिक शिक्षण की योजना बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
ix. विद्यार्थियों के मार्गदर्शन एवं परामर्श में
विद्यार्थियों का उपयुक्त मार्गदर्शन एवं परामर्श शिक्ष की नैतिक जिम्मेवारी है। आकलन के द्वारा प्राप्त सूचनाओं के आधार पर शिक्षक विद्यार्थियों को उपयुक्त मार्गदर्शन एवं परामर्श प्रदान करने में भी सहायक है। शिक्षक प्राप्त सूचनाओं के आधार पर विद्यार्थी की क्षमताओं एवं रूचि के आधार पर उन्हें उच्च अध्ययन के लिए उपयुक्त विषय चुनने अथवा उनके लिए कैरियर विकल्प सुझाने या आगे के व्यवसाय के चयन में सहायता प्रदान करने में भी सहायक है। इस प्रकार यदि देखें तो आकलन अपने व्यापक उपयोगिता में विद्यार्थी के मार्गदर्शन एवं परामर्श में अत्यंत कारगर है।