आधुनिक विश्व की ओर (प्राचीन इतिहास
आधुनिक विश्व की ओर प्रस्तावना (Introduction)
पुनर्जागरण एक महान शक्तिशाली आन्दोलन था। इस आन्दोलन ने ज्ञान-विज्ञान के नए मार्ग खोल दिये। इसने मानव के विचारों की दिशा बदल दी। पुनर्जागरण एक मानसिक एवं बौद्धिक आन्दोलन था, जिसने मानव को उन पुरानी धार्मिक, सामाजिक एवं आर्थिक मान्यताओं और बन्धनों से स्वतन्त्र किया जो उसे सदियों से जकड़े हुये थे और जिन्होंने उनके मन को भय के बोझ से दबा रखा था। इस आन्दोलन से प्रेरित होकर मनुष्य मानसिक दासता और कायता से स्वतन्त्र होने के लिये आगे बढ़ा।
आधुनिक विश्व की
ओर (Transition
to Modern World)
पुनर्जागरण और धार्मिक सुधारों ने विश्व को एक नई दिशा दी। इन आंदोलनों का विश्व पर व्यापक प्रभाव पड़ा-
(1) वैज्ञानिक दृष्टिकोण पुनर्जागरण मानव सभ्यता के विकास में एक अनुपम घटना थी। इसने उस दृष्टिकोण की नींव डाली, जिसे वैज्ञानिक या आधुनिक दृष्टिकोण कहते हैं। मानसिक और बौद्धिक स्वतन्त्रता पाने के लिये मानव का यह प्रयास था। अब मनुष्य ने धर्मान्धता, रूढ़ि, अन्धविश्वास और पाखण्ड के बन्धन तोड़ फेंके और वैज्ञानिक दृष्टि से हर बात व तथ्य का मूल्यांकन करने लगा। अब तर्क तथा प्रमाण जीवन में मान्यता के मानदण्ड हो गये।
(2) मान्यताओं में परिवर्तन मध्य युग का जीवन विशेष रूप से दो मान्यताओं से घिरा हुआ था। सामाजिक व आर्थिक क्षेत्र में सामन्त प्रथा का प्रभुत्व था। मानसिक एवं धार्मिक क्षेत्रों में 'स्वर्ग' व 'नर्क', 'प्रलय', 'गिरजा', 'पोप', 'पाप' आदि की पुरानी भावनाओं से आगे लोग सोचते ही नहीं थे। हर समय उनके मन पर इस बात का बोझ रहता था कि किसी प्रकार वे अपना परलोक सुधारें। पुनर्जागरण ने मानव के मन से इन बातों का बोझ हटा दिया और उसे इसी जीवन और इसी लोक में सुख, सौंदर्य और वास्तविकता ढूँढ़ने का उत्साह दिया। पुरानी विचारधाराओं, मान्यताओं और विश्वासों को नष्ट करना आरम्भ हुआ और उनके स्थान पर नए विचार, नई भावनाएं नई मान्यतायें आने लगीं अन्धविश्वास और पुराने पचड़ों को छोड़कर प्रकृति और जीवन को सीधी वैज्ञानिक दृष्टि से देखा जाने लगा।
(3) मानव का कायाकल्प पुनर्जागरण ने मध्यकालीन जड़ता तथा मानव समाज में व्याप्त अन्धविश्वास को दूर कर दिया। विद्याध्ययन, स्वतन्त्र विचार एवं नवीन खोज के द्वार भी इसी के प्रताप से खुले । पुनर्जागरण ने भूतकाल के प्रति रुचि के साथ वर्तमान काल को बौद्धिक चेतना दी। पुनर्जागरण ने नवीन साहित्य, कला, नवीन देशों की खोज, विज्ञान की उन्नति और नवीन विचारधाराओं ने यूरोप की सभ्यता एवं संस्कृति पर बड़ा गहरा प्रभाव डाला। जहाँ पहले शिक्षा तथा पाठशाला को लोग जानते ही नहीं थे वहाँ बड़े-बड़े विश्वविद्यालय स्थापित हो गये जिनमें हजारों की संख्या में दूर-दूर के देशों से विद्या, ज्ञान एवं कला के प्रेमी आते थे।
(4) राजनैतिक प्रभाव - इस समय से पहले अधिकतर सामन्त एवं राजाओं का राज्य था। पर पुनर्जागरण के कारण सामन्तवादी शक्तियों का लगभग अन्त हो गया और शक्तिशाली राष्ट्रीय राज्यों की स्थापना हुई । इंग्लैंड, फ्रांस और स्पेन में एकीकरण की भावना इतनी बढ़ी की वहाँ बड़े-बड़े केन्द्रीय राष्ट्रीय राज्य स्थापित हो गये केवल जर्मनी का पवित्र रोमन साम्राज्य' नाम का संगठन जर्मनी को एक राष्ट्र न बना सका और इटली में भी पोप और सम्राट आदि के कारण एकता न हो सकी।
(5) विकसित जीवन का आरम्भ-साधारण व्यक्तियों के जीवन में भी बड़ा परिवर्तन हुआ। उनका जीवन जो अब तक रूढ़िवाद, धार्मिक बन्धनों, अन्धविश्वास एवं निर्धनता में जकड़ा हुआ था, अब चिन्ता रहित और सुखी होने लगा और लोग चिन्ता रहित एवं सुखी जीवन व्यतीत करने लगे। जीवन के सभी क्षेत्रों में ऐसा परिवर्तन दिखाई देने लगा मानो एक नये युग का आरम्भ हो रहा है।
(6) मध्यम वर्ग का उदय पुनर्जागरण से पहले समाज में केवल दो वर्ग थे। उच्च वर्ग में जागीरदार एवं बड़े - पादरी थे तथा छोटे वर्ग में किसान, मजदूर उद्योग-धन्धे करने वाले इत्यादि थे। परन्तु पुनर्जागरण में व्यापारियों के एक स्वतन्त्र मध्य वर्ग की उत्पत्ति और उन्नति हुई, जो धीरे-धीरे उन्नति करता हुआ पूँजीपतियों का वर्ग बन गया और आगे चलकर इसकी शक्ति इतनी बढ़ गई कि इसने सामन्तों से ही नहीं बल्कि राजाओं से भी टक्कर लेनी आरम्भ कर दी और सभी देशों में प्रजातन्त्र राज्यों की स्थापना का मार्ग खोल दिया। इस मध्य वर्ग की सहायता से राष्ट्रीय राज्यों का विकास हुआ और इन राष्ट्रीय राज्यों में राज्य और प्रत्येक व्यक्ति की पूर्ण स्वतन्त्रता का विचार घर करने लगा। इसी वर्ग ने व्यापार व्यवसाय को बढ़ावा दिया और इसी वर्ग के बल पर औद्योगिक क्रान्ति का प्रसार हुआ।
(7) मानवता - इस पुनर्जागरण के कारण पोप और सम्राट की शक्ति एवं मान-मर्यादा भी लगभग नष्ट हो गई और उनके मनगढन्त कानून समाप्त हो गये। यूरोप में निरंकुश राजतन्त्र का आरम्भ हुआ। इसके अतिरिक्त
पुनर्जागरण ने मध्य युग के कठोर कानूनों और शारीरिक अत्याचारों से भरे हुए दण्डों पर मानव को फिर से विचार करने को बाध्य किया। सुन्दरता और ज्ञान-विज्ञान की खोज करने वाले लोग मानव समाज में ऊँच-नीच के भेद को बुरी दृष्टि से देखने लगे, क्योंकि विज्ञान के अनुसार ये भेद झूठे हैं। मानव मात्र को समान समझना तथा उसके ऊपर कठोर अत्याचार को समाप्त करना मानववाद का ही परिणाम था।
सारांश (Summary)
पुनर्जागरण ने भूतकाल के प्रति रुचि के साथ वर्तमान काल को बौद्धिक चेतना दी। पुनर्जागरण ने नवीन साहित्य, कला, नवीन देशों की खोज, विज्ञान की उन्नति और नवीन विचारधाराओं ने यूरोप की सभ्यता एवं संस्कृति पर बड़ा गहरा प्रभाव डाला। जहाँ पहले शिक्षा तथा पाठशाला को लोग जानते ही नहीं थे वहाँ बड़े-बड़े विश्वविद्यालय स्थापित हो गये जिनमें हजारों की संख्या में दूर-दूर के देशों से विद्या, ज्ञान एवं कला के प्रेमी आते थे।
पुनर्जागरण में व्यापारियों के एक स्वतन्त्र मध्य वर्ग की उत्पत्ति और उन्नति हुई, जो धीरे-धीरे उन्नति करता हुआ पूँजीपतियों का वर्ग बन गया और आगे चलकर इसकी शक्ति इतनी बढ़ गई कि इसने सामन्तों से ही नहीं बल्कि राजाओं से भी टक्कर लेनी आरम्भ कर दी और सभी देशों में प्रजातन्त्र राज्यों की स्थापना का मार्ग खोल दिया। इस मध्य वर्ग की सहायता से राष्ट्रीय राज्यों का विकास हुआ और इन राष्ट्रीय राज्यों में राज्य और प्रत्येक व्यक्ति की पूर्ण स्वतन्त्रता का विचार घर करने लगा।
पुनर्जागरण ने मध्य युग के कठोर कानूनों और शारीरिक अत्याचारों से भरे हुए दण्डों पर मानव को फिर से विचार करने को बाध्य किया । सुन्दरता और ज्ञान-विज्ञान की खोज करने वाले लोग मानव समाज में ऊँच-नीच के भेद को बुरी दृष्टि से देखने लगे, क्योंकि विज्ञान के अनुसार ये भेद झूठे हैं। मानव मात्र को समान समझना तथा उसके ऊपर कठोर अत्याचार को समाप्त करना मानववाद का ही परिणाम था ।