इतिहास में विज्ञान एवं
तकनीक ज्ञान का विस्तार
(Science
and Technology: Expansion of Knowledge)
इतिहास में विज्ञान एवं तकनीक ज्ञान का विस्तार प्रस्तावना ( Introduction)
मध्यकाल में चर्च
की ओर से विज्ञान के अध्ययन को प्रोत्साहन नहीं दिया जाता था। मध्य युग में
विज्ञान के क्षेत्र में केवल अरस्तू की कुछ पुस्तकों का अध्ययन होता था, जो अरबों से
यूरोप को प्राप्त हुई थीं। अरस्तू को पूर्णरूप से ठीक लिखने वाला लेखक माना जाता
था तथा उसके विरुद्ध कुछ भी कहना एक भयंकर अपराध था। फ्लोरेंस निवासी सेवानरोला को
इसी अपराध में मृत्युदण्ड दिया गया था। फिर भी इस पुनर्जागरण में अच्छे-अच्छे
वैज्ञानिक हुए, जिनके विचारों ने
संसार में एक अद्भुत परिवर्तन कर दिया।
मध्यजगत में
प्रवेश (Enterance in
Medieval World)
विज्ञान का पुनर्जागरण-
चौदहवीं, पन्द्रहवीं और
सोलहवीं शताब्दी का काल विज्ञान की खोज का काल माना जाता है। इस काल में
वैज्ञानिकों का ध्यान प्रकृति की गतिविधियों की ओर गया और उन्होंने उसके रहस्यों
का पता लगाने का प्रयत्न किया। लोगों की रुचि विज्ञान के प्रति बढ़ी और वैज्ञानिक
अध्ययन व अनुसंधान के लिए अनेक उपकरण (Instruments) तैयार किये गये। यहाँ कुछ वैज्ञानिकों का
संक्षिप्त परिचय दिया गया है-
रोजर बेकन (1214-1295 ई.) -
यह प्रथम वैज्ञानिक माना जाता है इसने बताया कि विज्ञान के अध्ययन के बिना हम प्रकृति की शक्तियों एवं रहस्यों को नहीं जान सकते। इसने विज्ञान के क्षेत्र में इतना कार्य किया कि उस समय के साधारण व्यक्तियों के मन से अन्ध-विश्वास और कट्टर धर्म के प्रति श्रद्धा पूर्णरूप से उठ गई । यद्यपि उसके समय में वैज्ञानिक दृष्टिकोण वाले व्यक्तियों को मृत्युदण्ड, कारावास एवं देश निकाले का भय लगा रहता था। रोजर बेकन को भी अनेक कष्ट उठाने पड़े परन्तु उसने इस बात की कोई चिन्ता नहीं की और विज्ञान के अध्ययन की ओर लोगों का ध्यान भली-भाँति आकर्षित किया।
कॉपरनिकस (Copernicus, 1473-1553 ई.) -
कॉपरनिकस
पोलैण्ड का निवासी था। कोपरनिकस ने आकाश के नक्षत्रों की चाल का गहरा अध्ययन किया
और यह सिद्ध किया कि पृथ्वी सूर्य के चारों ओर घूमती है न कि सूर्य पृथ्वी के
चारों ओर जैसा कि ईसाई लोग विश्वास करते थे। यूनानी विद्वान् टाल्सी ने मध्य युग
में यह सिद्धान्त रखा था कि पृथ्वी अचल है और सूर्य उसकी परिक्रमा करता है तथा
अन्य ग्रह, नक्षत्र आदि
पृथ्वी की परिक्रमा कर रहे हैं। चूँकि कॉपरनिकस के विचार ईसाई धर्म के विचारों से
मेल नहीं खाते थे अतः ईसाइयों ने उसका घोर विरोध किया।
गैलिलियो (Galileo, 1564-1642 ई.) -
गैलिलियो
इटली का निवासी था उसने 'गति-विज्ञान' (Science of Dynamics) की नींव डाली और
सबसे पहला दूरदर्शक यन्त्र ( Telescope) बनाया । इस दूरदर्शक यन्त्र से वह आकाश के नक्षत्रों का
अध्ययन करता था। अपने अध्ययन के बल पर उसने खगोल शास्त्र (Astronomy) के सम्बन्ध में
अनेक वैज्ञानिक बातें संसार के सामने रखीं। ये सारी बातें ईसाई धर्मावलम्बियों के
विश्वास के विरुद्ध थीं. अतः ईसाईयों ने गैलिलियो का कड़ा विरोध किया। उन्होंने
गैलिलियो से कहा कि वह इस प्रकार की खोजें न करे किन्तु गैलिलियो न माना । अतः
गैलिलियो को सजा भोगनी पड़ी।
ग्रीवो (1550-1600 ई.) -
ग्रीवो ने
यह बताया कि पृथ्वी सूर्य के चारों ओर घूमती है और दूसरे नक्षत्र भी सूर्य की
भाँति है। चूँकि वह डोमीनिकन सम्प्रदाय का एक भिक्षु था, अतः उस पर नास्तिकता
का अपराध लगा कर पोप ने उसको 1600 ई. में जीवित ही चिता में जलवा दिया।
लियोनार्डो -दी- विंसी-
लियोनार्डो दी- विंसी बहुमुखी प्रतिभा का मनुष्य था । कला के प्रति उसकी
जितनी रुचि थी, उतनी ही रुचि उसे
विज्ञान में भी थी। वह एक वैज्ञानिक के रूप में भी विख्यात है क्योंकि उसने इस
दिशा में बहुत योगदान किया। उसने मानव के शरीर की रचना ( Anotomy) का खूब अध्ययन
किया। मानव शरीर के विभिन्न अंगों के पारस्परिक सम्बन्धों के बारे में भी उसने
लोगों को बताया। इतना ही नहीं पक्षियों के शरीर की रचना और उनकी उड़ान का अध्ययन करके
उसने कुछ तथ्य सामने रखे।
उसने पम्पों और
खरादों के कुछ रेखा-चित्र बनाये और रेखागणित की भी एक रोचक पुस्तक तैयार की। इस
प्रकार लियोनार्डो-दी-विसी ने शरीर विज्ञान, जीव विज्ञान, टेक्नोलॉजी और रेखागणित के सम्बन्ध में खोज करके लोगों को
ज्ञान दिया।
कैपलर (Kepler, 1571-1630 ई.)-
कैपलर एक
जर्मन वैज्ञानिक था। उसने कॉपरनिकस की खोज पर आगे काम किया। कैपलर का कहना था कि
पृथ्वी सूर्य के चारों ओर चक्कर काटती है लेकिन साथ ही उसने यह भी बताया कि ये
चक्कर बिल्कुल गोलाई में नहीं होते बल्कि दीर्घवृत अर्थात् (Elliptical) होते हैं।
अन्य वैज्ञानिक डा. विलियम हार्वी ने बताया कि रक्त मानव के शरीर में घूमता रहता है। इंग्लैण्ड के प्रसिद्ध गणित के विद्वान सर आइजक न्यूटन ने गुरुत्वाकर्षण सिद्धान्त (Law of Gravitation) का प्रतिपादन किया। इस युग में रसायन शास्त्र और भौतिक शास्त्र की भी बहुत उन्नति हुई। प्राचीन ग्रीक विद्वान् गलन तथा हिप्पोक्रेटीज के ग्रन्थों का फिर से प्रकाशन किया गया और उनके मौलिक सिद्धान्तों का अध्ययन किया गया। हालैंड निवासी वैसेलियस (Vesalius I : 1514-1564 ई.) ने मनुष्य की शारीरिक बनावट पर पर्याप्त प्रकाश डाला। अन्य विद्वानों ने भौतिक शास्त्र के सम्बन्ध में कई महत्त्वपूर्ण सिद्धान्त ज्ञात किए। गणित शास्त्र और पदार्थ विज्ञान के सम्बन्ध में भी महत्त्वपूर्ण खोज की गयी और नये सिद्धान्तों का प्रतिपादन हुआ। गणित की उन्नति में यशेलिया, कैपलर, डिकार्ट, न्यूटन आदि के नाम प्रसिद्ध हैं। एक विद्वान ने यह बताया कि रसायन शास्त्र और चिकित्सा शास्त्र में गहरा सम्बन्ध है। गैलिलियो ने दूरबीन के अतिरिक्त हवाई थर्मामीटर और पेण्डुलम घड़ी का भी आविष्कार किया। इसी समय वैज्ञानिकों ने वायु भारमापक यंत्र (Barometer) एवं भौतिक तुला (Physical Balance) का निर्माण किया। इसी समय ग्लिबर्ट नामक विद्वान ने चुम्बक का आविष्कार किया। स्टीवन ने द्रव्यों के दबाव का अध्ययन किया और लॉगरिथम (Logarithms) का प्रतिपादन किया।
इस वैज्ञानिक
उन्नति के कई कारण थे। मानववादी शास्त्रों के अध्ययन से लोगों को इस संसार की अनेक
वस्तुओं से प्रेम हो गया और वे उनकी वास्तविकता जानने के लिए खोज करने लगे। इस समय
के इंग्लैंड और फ्रांस के राजाओं ने विज्ञान में बहुत रुचि प्रकट की और विज्ञान के
अध्ययन को हर प्रकार से प्रोत्साहन दिया। चिकित्सा और औषधि के विषय में भी नवीन
तत्वों का पता लगाया गया। शल्य चिकित्सा के नये नियम बनाये गए।
पैरसिल्मस ने औषधि एवं रासायनिक द्रव्यों का सम्बन्ध बतलाया। कोर्ड्स और हैल्मोन्ट नामक वैज्ञानिकों ने रासायनिक अम्ल (Acid) तथा गैस के विषय में ज्ञान कराया।
प्राचीन इतिहास में दर्शन में पुनर्जागरण -
इस काल में पुरानी चिन्तन प्रणाली समाप्त हो गई। अब हर बात को तर्क
की कसौटी पर कसने के बाद ही सच माना जाता था। चर्च और उसकी कुरीतियों पर स्वतन्त्र
रूप से विचार होने लगा और लोगों ने उनकी कटु आलोचना भी की। इरास्मस और वाईक्लिफ दो
महान दार्शनिक और सुधारक हुए इरास्मस ने न्यु टेस्टामेंट का अनुवाद किया। एलबर्ट
मैगनस पीटर एवीलाई और थामस एक्विनास आदि अन्य महत्वपूर्ण विचारक और दार्शनिक थे।
इन सभी विचारकों ने मुख्य रूप से चर्च और धार्मिक विषयों के बारे में नवीन
सिद्धान्त प्रतिपादित किए और धर्म के पाखण्ड, आडम्बर और ढोंग की पोल खोली। इस प्रकार इनके प्रयत्नों से
धर्म के प्रति एक नया वैज्ञानिक दृष्टिकोण जन्मा और पनपा। इसी ने आगे चल कर धर्म
सुधार आन्दोलन ( Reformation)
का पथ प्रदर्शन
किया।
छापेखाने का
आविष्कार नए विचारों, नई खोजों और नए
अनुसंधानों को अधिकाधिक लोगों तक पहुंचाने और उन पर उन्हें विचार व मनन करने का
अवसर देने का मुख्य साधन पुस्तकें थीं। जर्मनी में गुटनबर्ग में पहला छापाखाना
खुला और उसके बाद इंग्लैंड में कैक्सटन का छापाखाना खुला। कागज बनने लगा और
अधिकाधिक सामग्री व पुस्तकें प्रकाशित होने लगीं। नये विचारों तथा ज्ञान-विज्ञान
से पूर्ण इन पुस्तकों ने मानव विचारों में क्रान्तिकारी परिवर्तन किए। छापाखाने का
आविष्कार पुनर्जागरण को गति प्रदान करने वाला एक मुख्य साधन था।
नई भौगोलिक खोजें-
भौगोलिक खोजों ने भी पुनर्जागरण की भावना को बल दिया। मार्कोपोलो ( 1250-1323 ई.) ने चीन और
दक्षिणी पूर्वी एशिया के कुछ भागों का पता लगाया । समुद्री खोजों में स्पेन और
पुर्तगाल ने अगुवाई की। पुर्तगाल के शासक हेनरी दी नेवीगेटर के प्रोत्साहन से इस
काम को बढ़ावा प्रोत्साहन मिला।
उसके प्रोत्साहन से ट्रेनिंग लेकर नाविकों ने अटलांटिक महासागर में अजर्स तथा मदिरा द्वीपों की खोज की तथा अफ्रीका महाद्वीप के पश्चिमी तट के किनारे-किनारे दूर तक खोज की। 1486 ई में उत्तमाशा अन्तरीप (Cope of Goodhope ) का पता लगाया गया। 1479 ई. में वास्कोडिगामा नामक पुर्तगाली ने भारत का मार्ग ढूँढ़ निकाला। कोलम्बस ने 1492 में वेस्ट इन्डीज का पता लगाया। मेगेलन ने पृथ्वी की परिक्रमा कर डाली। 1492 ई. में अमरीकाकी भी खोज की गई। इन खोजों से व्यापार और उसकी भावी संभावनाएँ बहुत बढ़ गई। इसके अतिरिक्त विश्व के प्रत्येक भाग का ज्ञान-विज्ञान और उसकी सभ्यता व संस्कृति ने दूसरे भागों पर प्रभाव डाला। उपनिवेशवाद का आधार यही भौगोलिक खोजें थीं। समुद्री यात्रा को सरल, सुरक्षित और सुविधापूर्ण बनाने के लिये अच्छी किस्म की नावें बनने लगीं, दिशासूचक यन्त्रों का अधिकाधिक प्रयोग होने लगा और अन्य यन्त्र आदि भी बनाये गये ।