लैटिन अमरीका : अमरीका की खोज , Latin America Discovery of America in Hindi
प्रस्तावना ( Introduction)
उपनिवेशीकरण के लिए
अमरीका क्यों उपयुक्त था और पूर्व क्यों नहीं था? इसका प्रमुख कारण पंद्रहवीं और सोलहवीं
शताब्दियों में यूरोपीय लोगों के सीमित साधन थे। यद्यपि उनके जहाज और नौपरिवहन के
तरीके बड़े आदिम थे, फिर भी वे एशिया, अफ्रीका और अमरीका के
किसी भी भाग में पहुँच सकने में समर्थ थे। अठारहवीं शताब्दी में प्रादेशिक
साम्राज्यों की स्थापना एशिया की बजाय अमरीका में इसीलिए हुई कि अमरीका यूरोपीय
अधिवासियों (settlers) को अधिक आकर्षक लगता था
और तकनीकी दृष्टि से भी उस पर अधिकार करना अधिक आसान था।
अमरीका की खोज ( Discovery of America)
- अमरीका और पूर्व की ओर सीधे सामुद्रिक मार्ग की खोजों ने यूरोप को भौगोलिक और मानसिक कैद एवं अन्वेषणों से मुक्ति दिलाई। भौगोलिक खोज, व्यापार और विजयों के बड़े लाभकारी परिणाम हुए। प्रत्येक उपनिवेश या व्यापारिक केंद्र एक नई आर्थिक चेतना का केंद्रबिन्दु था। अमरीका ने यूरोप में उत्पादित वस्तुओं और कृषि उत्पादनों के लिए बड़े-बड़े बाजार प्रदान किए। अमरीकी सोने-चाँदी ने यूरोप में मुद्रा संचलन (money circulation) की आपूर्ति को बढ़ा दिया और समकालीन आर्थिक और सामाजिक विकास की गति को भी तेज़ कर दिया। एशियाई मसालों और अमरीकी किरानों ने अंतः यूरोपीय व्यापार की मात्रा और लाभांश को बढ़ा दिया। इस सुदूरस्थ व्यापारिक माल के यातायात ने व्यापारिक जहाजरानी और जहाज निर्माण को भी बहुत अधिक प्रगतिशील बनाने में योग दिया। यद्यपि पूर्व के साथ व्यापार की मात्रा कम थी पर इसका मूल्य काफी ऊँचा था अटलांटिक व्यापार से भी लाभ की काफी संभावनाएँ थीं। पूर्व के विपरीत अमरीका अपने अधिकांश उत्पादित माल के लिए यूरोप पर आश्रित था और यूरोप के नज़दीक होने के कारण थोक माल के व्यापार में लाभ अर्जित करने की स्थिति में था। अठारहवीं शताब्दी तक अटलांटिक पार के व्यापारिक जहाज़ी बेड़े में हजारों जहाज थे जो गुलाम, शक्कर और यहाँ तक कि लकड़ी जैसे भारी माल को ले जाते थे। यद्यपि अमरीका कभी भी यूरोप के आंतरिक व्यापार का स्थान नहीं ले पाया था, पर उसे पूरी तरह से बढ़ाने में इसने पूरा योगदान दिया।
- यूरोप में भूमि पर जनसंख्या का दबाव अधिक नहीं था। परंतु अपने खेती के तरीकों, युद्धों और धार्मिक संघर्षों के कारण अधिक भूमि के लिए कृत्रिम माँग को पैदा किया गया। भूमि के प्रति यूरोपीय भूख के संदर्भ में अमरीका ने चार शताब्दियों तक सेफ्टी वाल्व का काम किया। वस्तुतः कोलंबस ने यूरोप को पश्चिम की ओर हज़ारों मील आगे बढ़ा दिया था। इस प्रकार यूरोप को विस्तार और उपनिवेशीकरण के ऐसे अवसर प्राप्त हो गए जैसे कि रूस में मास्को सरकार को साइबेरिया के उपनिवेशीकरण के संदर्भ में प्राप्त हुए थे।
- अठारहवीं शताब्दी के प्रारंभ में यूरोप में समुद्रपार के क्षेत्र का भौगोलिक वितरण भलीभांति स्थापित हो चुका था । उनकी स्पष्ट विशेषता यह थी कि उपनिवेश और सैनिक अड्डे विश्व के विभिन्न भागों में अत्यंत असमान रूप में बिखरे हुए थे। अमरीका धीरे-धीरे स्पेन, पुर्तगाल, इंग्लैंड, फ्रांस और हॉलैंड के प्रादेशिक प्रभुत्व के अधीन आता जा रहा था। अफ्रीका और पूर्व में यद्यपि बहुत से उपनिवेश थे परंतु उनमें यूरोपीय बस्तियाँ बहुत थोड़ी थीं। उनके तटवर्ती नाविक अड्डों की शक्तिशाली उपनिवेशों के रूप में विकसित होने की बहुत थोड़ी संभावनाएँ थीं। यूरोप द्वारा अमरीका पर अधिकार करने के बावजूद यूरोपीय शक्तियों के अफ्रीका और एशिया के चारों ओर छाए रहने के क्या कारण थे? इस प्रश्न का उत्तर कुछ तो यूरोपीय औपनिवेशिक लक्ष्यों और कुछ उन साधनों में निहित है जो प्रथम यूरोपीय साम्राज्य के संस्थापकों के पास थे।
- उत्तर-पश्चिमी अफ्रीका में पहले-पहले जो पुर्तगाली खोजें हुई वे इस्लाम के विरुद्ध उनके धर्मयुद्धों का ही एक गौण परिणाम थीं। स्वर्णधूलि, हाथीदाँत और गुलामों की खोज उन्हें दक्षिण तक ले गई । इन्हीं खोजों के दौरान डियाज़ ने 1487 में आशा अंतरीप की खोज की और पुर्तगालियों ने इंडीज के लिए समुद्री मार्ग की भी योजना बनाई। इससे पुर्तगाली उपलब्धियाँ उनके सुचितित उद्देश्यों के अनुरूप रहीं। वे पूर्वी मसालों के सीधे व्यापार को प्राप्त करने के लिए निकल पड़े। धर्म प्रचार के उत्साह ने पुर्तगालियों को लाल सागर और हिंद महासागर में इस्लामी शक्तियों के विरुद्ध युद्ध करने की प्रेरणा दी। पुर्तगाल के पास विशाल उपनिवेशों का न होना व्यापारिक व्यवस्था के प्रति उसके रुझान को व्यक्त करता है। इसी कारण पुर्तगालियों ने बड़े-बड़े उपनिवेशों को प्राप्त करने की कोई कोशिश भी नहीं की। परंतु अमरीकी उपनिवेशों ने उसके अन्वेषकों के इरादों को पूरा नहीं किया और अमरीका को पूर्व के मार्ग में एक बाधा माना गया। अमरीका पर इस कारण अधिकार किया गया क्योंकि कैरेबियन मेक्सिको और पेरू में सोने और चाँदी के होने की अनपेक्षित संभावनाएँ थीं, यह खोज और विजय के लिए प्रेरित करता था और अप्रवासियों को अपनी ओर आकर्षित करता था। इसके अतिरिक्त, पर्याप्त भूमि और उस पर काम करने के लिए विनीत स्थानीय जनसंख्या की उपलब्धि ने स्थायी उपनिवेशीकरण और विशाल अर्धसामतीय जागीरों की स्थापना को भी प्रोत्साहित किया। गैर-ईसाइयों को ईसाई धर्म में दीक्षित करने की चुनौती ने कैथोलिक चर्च को वहाँ धर्म प्रचारक भेजने की प्रेरणा दी। सोना-चाँदी खोजने वालों, अधिवासियों (settlers) और धर्म प्रचारकों ने अमरीका के विशाल भू-भाग पर कारगर ढंग से कब्जा कर लिया।
- यह एक व्यक्तिगत उपनिवेशीकरण था और इसके लिए न तो कोई योजना बनाई गई थी और न स्पेनी राजा इसके लिए प्रत्यक्ष तौर पर उत्तरदायी था। ब्राजील को, जिसे 1500 में केब्रिल ने अपनी भारत यात्रा के दौरान अनजाने में ही खोज निकाला था, व्यक्तिगत तौर पर पुर्तगाली लोगों ने उपनिवेश बनाया था। उन्हें इस कार्य के लिए शाही अनुमति तो दी गई थी किंतु इसके लिए साधन उन्हें अपने ही जुटाने थे। इस प्रकार जहाँ पूर्व में मूल पुर्तगाली साम्राज्य को मुख्यतः एक शाही उद्यम के रूप में नियोजित और स्थापित किया गया वहाँ स्पेन और पुर्तगाल के अमरीकी उपनिवेशों और इसी प्रकार इंग्लैंड और फ्रांस के उपनिवेशों की स्थापना में इन देशों के शासकों की प्रत्यक्ष सहायता उपलब्ध नहीं थी। अठारहवीं शताब्दी तक अमरीकी उपनिवेशों पर अधिकार कर लिया गया और उनके ऊपर यूरोपीय शासन तथा वाणिज्य के प्रतिरूपों को आरोपित कर दिया गया।
- उपनिवेशीकरण के लिए अमरीका क्यों उपयुक्त था और पूर्व क्यों नहीं था? इसका प्रमुख कारण पंद्रहवीं और सोलहवीं शताब्दियों में यूरोपीय लोगों के सीमित साधन थे। यद्यपि उनके जहाज और नौपरिवहन के तरीके बड़े आदिम थे, फिर भी वे एशिया, अफ्रीका और अमरीका के किसी भी भाग में पहुँच सकने में समर्थ थे।
- उस समय यूरोपवासी अधिकांश एशिया और इस्लाम द्वारा शासित देशों की तुलना में तकनीकी या सैनिक दृष्टि से भी विशेष आगे बढ़े हुए नहीं थे। इन सीमित साधनों के कारण वे तुर्कों या अरबों के विरुद्ध भी लाभकर (अनुकूल ) स्थिति में नहीं थे। हिंद महासागर और सुदूरस्थ पूर्व में भी वे तकनीकी दृष्टि से अधिक श्रेष्ठ नहीं थे। साथ ही उनके सामने अधिक दूरी, जनसंख्या की कमी और घुड़सवार सेना का अभाव जैसी बाधाएँ भी थीं। उनके उद्देश्य चाहे जो भी हों, उस समय यूरोपीय लोग इनमें से किसी भी स्थान पर प्रादेशिक साम्राज्य ( territorial empire) की स्थापना नहीं कर सकते थे।
- इसके विपरीत अफ्रीका, सहारा के निचले प्रदेश और अमरीका के समस्त प्रदेश सैनिक और औद्योगिक तकनीकों की दृष्टि से यूरोप की तुलना में कहीं अधिक कमजोर थे। पुर्तगालियों ने सोलहवीं शताब्दी के प्रारंभ में कांगो और जम्वेसी तक अपनी सत्ता की स्थापना कर ली थी। वे यहाँ या अफ्रीका में अन्यत्र प्रादेशिक साम्राज्यों की स्थापना करने में सक्षम भी थे, परंतु उन्होंने ऐसा इस कारण नहीं किया क्योंकि अफ्रीकी जलवायु यूरोपीय लोगों के लिए अनुकूल नहीं थी। पूर्वी व्यापार और अमरीका में गुलामों को ले जाना आर्थिक दृष्टि से अधिक आकर्षक था और ब्राजील में पुर्तगालियों को उपनिवेशों की स्थापना और बागों एवं खेतों से काफी लाभ मिलने की आशा थी। अधिकांश अफ्रीका की ही भाँति अमरीका भी सुरक्षा साधनों से हीन था। उस पर इसलिए कब्जा कर लिया गया क्योंकि अमरीका यूरोपवासियों को काफी आकर्षक लगता था। यद्यपि मैक्सिको के अजतेक और पेरू के इन्का साम्राज्य सैनिक दृष्टि से बहुत सुसंगठित और बहुत सभ्य थे, पर उनके हथियार पाषाण युगीन थे। अतः वे यूरोपीय युद्ध-पद्धति का मुकाबला नहीं कर सकते थे। इसी कारण मैक्सिको में कार्टेज और पेरू में पिज़ारोज़ जैसे स्पेनी अन्वेषकों के छोटे-से समूह ने, जिनकी मुख्य पूँजी गतिशीलता, दृढ़संकल्प और अपनी सहायक सेनाओं का प्रयोग करने की कुशलता थी, उन्हें शीघ्र ही नष्ट कर डाला ।
- इस प्रकार अठारहवीं शताब्दी में प्रादेशिक साम्राज्यों की स्थापना एशिया की बजाय अमरीका में इसीलिए हुई कि अमरीका यूरोपीय अधिवासियों ( settlers) को अधिक आकर्षक लगता था और तकनीकी दृष्टि से भी उस पर अधिकार करना अधिक आसान था।
सारांश (Summary)
- अठारहवीं शताब्दी के प्रारंभ में यूरोप में समुद्रपार के क्षेत्र का भौगोलिक वितरण भलीभांति स्थापित हो चुका था। उनकी स्पष्ट विशेषता यह थी कि उपनिवेश और सैनिक अड्डे विश्व के विभिन्न भागों में अत्यंत असमान रूप में बिखरे हुए थे। अमरीका धीरे-धीरे स्पेन, पुर्तगाल, इंग्लैंड, फ्रांस और हॉलैंड के प्रादेशिक प्रभुत्व के अधीन आता जा रहा था। अफ्रीका और पूर्व में यद्यपि बहुत से उपनिवेश थे, परंतु उनमें यूरोपीय बस्तियाँ बहुत थोड़ी थीं। उनके तटवर्ती नाविक अड्डों की शक्तिशाली उपनिवेशों के रूप में विकसित होने की बहुत थोड़ी संभावनाएँ थीं।
- अमरीका पर इस कारण अधिकार किया गया क्योंकि कैरेबियन, मेक्सिको और पेरू में सोने और चाँदी के होने की अनपेक्षित संभावनाएँ थीं, यह खोज और विजय के लिए प्रेरित करता था और अप्रवासियों को अपनी ओर आकर्षित करता था। इसके अतिरिक्त, पर्याप्त भूमि और उस पर काम करने के लिए विनीत स्थानीय जनसंख्या की उपलब्धि ने स्थायी उपनिवेशीकरण और विशाल अर्धसामंतीय जागीरों की स्थापना को भी प्रोत्साहित किया।