अफ्रीका पूर्व - ऐतिहासिक परिचय , अफ्रीका की आरम्भिक सभ्यता
अफ्रीका प्रस्तावना ( Introduction)
दक्षिणी अफ्रीका में
अंग्रेजों का उपनिवेश बसाने में सिसिल रोड्स नाम के व्यक्ति ने बड़ी महत्त्वपूर्ण
भूमिका अदा की। दक्षिणी अफ्रीका में उसे ब्रिटिश उपनिवेश का निर्माता कहा जाता है।
वह अपनी युवावस्था में अफ्रीका में जाकर बस गया। धीरे-धीरे वह बड़ा धनी हो गया। धीरे-धीरे
उसका प्रभाव बढ़ता रहा और वह केप कॉलोनी का प्रधानमंत्री बन गया। सिसिल रोड्स ने
बेचुआनालैंड पर कब्जा कर लिया। उसने उत्तमासा अन्तरीप से काहिरा तक रेल लाइन बनाने
की योजना तैयार की। इसके बाद उसने केप कॉलोनी के उत्तर में एक काफी बड़े भाग पर
कब्जा कर लिया। इस भाग को उसने ब्रिटिश उपनिवेश बना दिया। उसी के नाम पर इस
उपनिवेश का नाम रोडेशिया रख दिया गया।
अफ्रीका पूर्व - ऐतिहासिक परिचय (Afica Pre- Historical
Introduction)
- अफ्रीका से जुड़े ऐतिहासिक रिकार्ड प्राचीन मिस्र की फारोनिक सभ्यता में मिलते हैं। अफ्रीका का अस्तित्व पेलियोलिथिक युग से माना जाता है। प्राक-ऐतिहासिक काल में अफ्रीका में भी मानव समूह बनाकर रहने लगा था । इस युग में अफ्रीकी मानव समूह में शिकार करता था ।
- हिम युग की समाप्ति के बाद सहारा क्षेत्र एकदम हरा-भरा और उर्वरक बन गया। इसके परिणामस्वरूप मानव समूह, जो अफ्रीका के तटीय प्रदेशों की ओर चले गये थे, अब वापस सहारा की ओर लौटने लगे। 5000 ई. पूर्व में भौगोलिक और पारिस्थितिकीय परिवर्तनों के चलते सहारा क्षेत्र सूखा मरुस्थल बन गया। यहां जीवन अत्यन्त कठिन हो गया। मानव जाति ने इस क्षेत्र से पलायन करना शुरू कर दिया। मानव समूह रूप में नील नदी घाटी की ओर बढ़ते गए। यहाँ इन्होंने स्थायी और अस्थायी रूप से बसना आरम्भ किया। तब से आज तक सूखा पूर्वी अफ्रीका में स्थायी हो गया।
- 6000 ई.पू. तक मानव घास-फूस की झोंपड़ियाँ बनाकर रहने लगा। उसने पशुपालन सीख लिया। अफ्रीकी मानव सम्भवत: गधे और छोटे सींग वाली बकरियां भी पालते थे। 4000 ई.पू. में सहारा प्रदेश में व्यापक जलवायु परिवर्तन हुआ । मरुस्थलीय भूमि बढ़ने लगी। कृषि की पैदावार दिन-प्रतिदिन कम होती गई। पानी के स्रोत सूखने लगे। मानव जातियाँ उत्तरी अफ्रीका की ओर पलायन करने को मजबूर हो गईं। लौह धातु की खोज उत्तरी अफ्रीका में हुई। शीघ्र ही इसका प्रयोग सहारा सहित पूरे उत्तरी उप- अफ्रीका में भी होने लगा। 500 ई.पू. तक सम्पूर्ण अफ्रीका में लोहे के औजार, हथियार व बर्तन आदि बनने लगे थे। तांबा मिस्र से होते हुए उत्तरी अफ्रीका, न्यूबिया और इथोपिया तक पहुँचा। 500 ई.पू. तक सहारा-पार और शेष अफ्रीका में व्यापारिक सम्बन्ध कायम हो चुके थे।
अफ्रीका की आरम्भिक सभ्यता (Early Civilization)
- अफ्रीका में यूरोपीय खोजकर्ताओं का आगमन प्राचीन यूनान और रोमन सभ्यताओं के साथ शुरू हो गया। 332 ई.पू. में पर्शिया के कब्जे वाले मिस्र में सिकन्दर महान (एलेक्जेन्डर) का स्वागत मुक्तिदाता के रूप में किया गया। रोमन साम्राज्य द्वारा उत्तरी अफ्रीका के भूमध्य तट पर विजय के बाद, इस प्रदेश में रोमन आर्थिक व सांस्कृतिक प्रणाली का विस्तार किया गया। रोमन सभ्यता की झलक आधुनिक ट्यूनिशिया में भी देखने को मिली है। ईसाई धर्म के प्रचार का प्रभाव अफ्रीकी प्रदेशों पर भी पड़ा। ईसाइयत मिस्र होते हुए अफ्रीकी क्षेत्रों (न्यूबिया ) में फैली। साइरो - ग्रीक ईसाई मिशनरियों की बदौलत यह आक्सुमाइट साम्राज्य का राज्य धर्म बन गया।
- 7वीं शताब्दी की शुरुआत में नवगठित अरब इस्लामी साम्राज्य के खलीफा ने मिस्र में विस्तार किया। इसके बाद इस्लामी साम्राज्य विस्तार उत्तरी अफ्रीका में फैल गया। 8वीं शताब्दी में इस्लाम का केन्द्र सीरिया से बदलकर उत्तरी - अफ्रीका स्थानान्तरित हो गया। इसके परिणामस्वरूप उत्तरी अफ्रीका विभिन्न गतिविधियों का केन्द्र बन गया। विद्वानों, न्यायविदों और दार्शनिकों का प्रमुख गढ़ बन गया। इस अवधि के दौरान उप-सहारा अफ्रीकी क्षेत्र में प्रवास और व्यापार के माध्यम से इस्लाम का व्यापक प्रसार हुआ।
- उपनिवेशवाद से पूर्व अफ्रीका में हजारों छोटे-बड़े साम्राज्य व राजनीतिक शक्तियों के केन्द्र थे। 9वीं शताब्दी में पश्चिमी क्षेत्र से लेकर केन्द्रीय सूडान तक तथा उप-सहारा और सवाना क्षेत्रों में भी विभिन्न छोटे-बड़े राजवंश अस्तित्व में थे। इनमें घाना, गाओ तथा कानेम बोनू साम्राज्य बड़े व शक्तिशाली थे।
- माली के विघटन के बाद (1464-1492) में एक स्थानीय नेता सोनी अली ने साम्राज्य पर कब्जा कर उसे संगठित किया। अली ने सोनघाई साम्राज्य की स्थापना की। मध्य नाइजर और पश्चिमी सूडान पर नियन्त्रण स्थापित किया तथा सहारा पार के व्यापार को भी कब्जे में लिया। उसके उत्तराधिकारी असकिया मोहम्मद ने इस्लाम को राज्य धर्म बनाया मस्जिदें बनवाईं और मुस्लिम विद्वानों की उच्च संस्थायें बनवाई।