उर्दू साहित्य का इतिहास पी.डी.एफ.
Urdu Sahitya Ka Itihaas PDF Download
उर्दू साहित्य का इतिहास पी.डी.एफ
आगरा तथा दिल्ली के आस-पास की हिंदी अरबी-फारसी तथा अन्य
विदेशी शब्दों के सम्मिश्रण से विकसित हुई है। इसका दूसरा नाम 'उर्दू' भी हैं। मुसलमानी
राज्य में यह अंतप्रांतीय व्यवहार की भाषा थी। 19वीं शताब्दी में हिंदुस्तानी का शब्द उर्दू का
वाचक बन गया था। इसी को पुराने एंग्लो इंडियन मूर भी कहते थे। स्पेन तथा पुर्तगाल
वालों के अनुसार मूर मुसलमान थे। उर्दू हिंदुस्तानी की वह शैली है जिसमें फारसी
शब्द अधिक मात्रा में प्रयुक्त होते हैं तथा जो केवल फारसी लिपि में लिखी जा सकती
है। हिंदुस्तानी, रेखता, उर्दू तथा
दक्खिनी को पर्याय माना गया उर्दू प्रसार केवल नागरिक मुसलमानों तथा सरकारी
दफ्तरों से संबंध रखने वाले लोगों तक ही सीमित रहा है। 19वीं सदी में
दक्खिनी की परिणति उर्दू में हुई। उर्दू के देश व्यापी प्रचार-प्रसार के लिए
दिल्ली में अंजुमन तरक्किए उर्दू की स्थापना हुई। उर्दू तुर्की शब्द है जिसका अर्थ
तातार खान का पड़ाव या खेमा है। तुर्किस्तान ताशकंद तथा खोकंद में उर्दू का अर्थ
किला है। शाही पड़ाव के अर्थ में उर्दू शब्द भारत में संभवतः बाबर के साथ आया तथा
दिल्ली का राजभवन उर्दू ए मुल्ला' अथवा 'महान शिविर कहलाने लगा। दरबार तथा शिविर में जिस मिश्रित
भाषा का आगमन हुआ उसे जबाने उर्दू कहा गया उर्दू वास्तव में दरबारी भाषा है
जनसाधारण से उसका कोई संबंध नहीं।
उर्दू साहित्य का इतिहास पी.डी.एफ.(PDF Download) विषय सूची
उर्दू साहित्य का संक्षिप्त इतिहास
उर्दू भाषा का जन्म
उर्दू साहित्य का विकास
दक्खिनी काव्य की विशेषताएं
उर्दू साहित्य - मध्यकाल
दिल्ली उर्दू साहित्य -
वली औरंगाबादी -
लखनऊ: उर्दू साहित्य
उर्दू साहित्य आधुनिक काल
उर्दू साहित्य नवजागरण -
उर्दू साहित्य प्रगतिवादी काव्य धारा
उर्दू साहित्य प्रयोगवादी काव्यधारा
उर्दू साहित्य : स्वातंत्र्योत्तर युग
उर्दू साहित्य : नया युग
उर्दू साहित्य : साठोत्तरी युग
उर्दू साहित्य प्रमुख काव्य रूप